हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि माता पिता बालक के प्रथम गुरू होते हैं। माता-पिता बच्चों को जैसे संस्कार देते हैं। बच्चों के अंदर वैसे ही संस्कार पनपते हैं। बच्चों को अच्छे संस्कार व अच्छी शिक्षा नहीं दे पाने वाले माता पिता बच्चों के शत्रु माने जाते हैं। ठीक इसी प्रकार से भागवत में ध्रुव एवं प्रहलाद का चरित्र देखने को मिलता है। पांच वर्ष का बालक ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठने जा रहा था। सौतेली मां सुरुचि ने कहा भगवान का भजन कर भगवान से वरदान पाकर मेरे गर्भ से जन्म लेता तब जाकर पिता की गोद में बैठेगा। सौतेली मां के कटु वचनों को सुनकर बालक ध्रंुव रोता हुआ अपनी जन्म देने वाली मां सुनीति के पास पहुंचा और पूरी बात बताई। सुनीति ने ध्रुव को समझाते हुए कहा कि बेटा भगवान का भजन करने से ही जीव का कल्याण होता है। प्रत्येक मनुष्य को भगवान का भजन करना चाहिए। प्रथम गुरु मां होती है। सुनीति ने मां होने का भी फर्ज निभाया और गुरु होने का भी। मां की बातों को सुन पांच वर्ष का बालक ध्रुंव वन में जाकर के भगवान का भजन करता है। और भगवान को प्राप्त कर लेता है। भगवान के आशीर्वाद से ध्रुव तीस हजार वर्षों तक राज सिंहासन पर बैठ कर प्रजा का पालन करने के बाद सशरीर स्वर्ग गया और आज भी ध्रुव तारे के रूप में चमक रहा है। इसी प्रकार से प्रहलाद चरित्र में प्रहलाद भगवान का भजन करता है। परंतु पिता हिरण्यकशिपु प्रहलाद को भजन करने से रोकता है। प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों अनेकों प्रकार के षड्यंत्र करता है। वह तो प्रहलाद की भक्ति थी प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हो पाया। शास्त्री ने बताया कि माता-पिता को चाहिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा ज्ञान दें। ताकि बच्चा सन्मार्ग पर चल सके और ध्रुव तारे के रूप में अपना भी नाम रोशन करें अपने माता-पिता का भी नाम रोशन करें। अपने कुल खानदान का भी नाम रोशन करें। भागवत कथा के माध्यम से सभी को यही संस्कार दिया जाता है कि सभी को सत्कर्म करने चाहिए। इस अवसर पर मुख्य यजमान विपिन वडेरा, पूनम वडेरा, विवेक वडेरा, प्रदीप वडेरा, अन्नू वडेरा, लक्ष्य वडेरा, रियांश बडेरा, मीनू डल, पुष्पेंद्र डल, ममता पुरी, अजय कुमार शायी, सुमित शायी, गीता शायी, लक्ष्मी शायी, सपना बीज, सतीश कुमार बीज, पंडित जगदीश प्रसाद खंडूरी, पंडित गणेश कोठारी, पंडित हरीश शर्मा, पंडित विष्णु आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि माता पिता बालक के प्रथम गुरू होते हैं। माता-पिता बच्चों को जैसे संस्कार देते हैं। बच्चों के अंदर वैसे ही संस्कार पनपते हैं। बच्चों को अच्छे संस्कार व अच्छी शिक्षा नहीं दे पाने वाले माता पिता बच्चों के शत्रु माने जाते हैं। ठीक इसी प्रकार से भागवत में ध्रुव एवं प्रहलाद का चरित्र देखने को मिलता है। पांच वर्ष का बालक ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठने जा रहा था। सौतेली मां सुरुचि ने कहा भगवान का भजन कर भगवान से वरदान पाकर मेरे गर्भ से जन्म लेता तब जाकर पिता की गोद में बैठेगा। सौतेली मां के कटु वचनों को सुनकर बालक ध्रंुव रोता हुआ अपनी जन्म देने वाली मां सुनीति के पास पहुंचा और पूरी बात बताई। सुनीति ने ध्रुव को समझाते हुए कहा कि बेटा भगवान का भजन करने से ही जीव का कल्याण होता है। प्रत्येक मनुष्य को भगवान का भजन करना चाहिए। प्रथम गुरु मां होती है। सुनीति ने मां होने का भी फर्ज निभाया और गुरु होने का भी। मां की बातों को सुन पांच वर्ष का बालक ध्रुंव वन में जाकर के भगवान का भजन करता है। और भगवान को प्राप्त कर लेता है। भगवान के आशीर्वाद से ध्रुव तीस हजार वर्षों तक राज सिंहासन पर बैठ कर प्रजा का पालन करने के बाद सशरीर स्वर्ग गया और आज भी ध्रुव तारे के रूप में चमक रहा है। इसी प्रकार से प्रहलाद चरित्र में प्रहलाद भगवान का भजन करता है। परंतु पिता हिरण्यकशिपु प्रहलाद को भजन करने से रोकता है। प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों अनेकों प्रकार के षड्यंत्र करता है। वह तो प्रहलाद की भक्ति थी प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हो पाया। शास्त्री ने बताया कि माता-पिता को चाहिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा ज्ञान दें। ताकि बच्चा सन्मार्ग पर चल सके और ध्रुव तारे के रूप में अपना भी नाम रोशन करें अपने माता-पिता का भी नाम रोशन करें। अपने कुल खानदान का भी नाम रोशन करें। भागवत कथा के माध्यम से सभी को यही संस्कार दिया जाता है कि सभी को सत्कर्म करने चाहिए। इस अवसर पर मुख्य यजमान विपिन वडेरा, पूनम वडेरा, विवेक वडेरा, प्रदीप वडेरा, अन्नू वडेरा, लक्ष्य वडेरा, रियांश बडेरा, मीनू डल, पुष्पेंद्र डल, ममता पुरी, अजय कुमार शायी, सुमित शायी, गीता शायी, लक्ष्मी शायी, सपना बीज, सतीश कुमार बीज, पंडित जगदीश प्रसाद खंडूरी, पंडित गणेश कोठारी, पंडित हरीश शर्मा, पंडित विष्णु आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।
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