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पतंजलि की ओर से चार ब्लॉको के चार गांवों में कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण

 


हरिद्वार। पर्यावरण को दूषित होने से बचाने तथा कृषको की आर्थिक स्थिति को सुधारने हेतु भारत सरकार तथा राज्य सरकार के सहयोग से मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का प्रारम्भ कृषको की भूमि सुधार हेतु अनुशरण में लाया गया है पतंजलि जैविक अनुसन्धान संस्थान के द्वारा धरती का डॉक्टर तथा हरित क्रांति नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म का निर्माण किया गया जिसमे इंटरनेट के मद्दद से किसी भी स्थान पर रहकर कोई भी किसान अपनी जांच की गयी मृदा की जानकारी प्राप्त कर सकते है। पतंजलि जैविक अनुसन्धान संस्थान के द्वारा धरती का डॉक्टर तथा हरित क्रांति नाम डिजिटल तकनीक विकसित की गई जिसमे कोई भी किसान अपनी जांच की गयी मृदा स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त कर सकते है धरती के डॉक्टर की सहायता से नमूना एकत्रित करने तथा खेत के स्थान की स्थिति मे ंजानकारी प्राप्त कर सकते है मृदा नमूना लेने की प्रक्रिया को लगातार गहन निगरानी में भी रखा जाता है,जिससे नमूना लेने में किसी भी प्रकार की कोई चूक न रह सके। मृदा स्वस्थ्य कार्ड को वितरण के बाद किसानो को उसकी अवधारणाओ को समझने में होने वाली समस्याओ को ध्यान में रखते हुए गांवस्तर पर ही समाधान कर उत्कृष्ट गांव तथा समृद्ध किसान की अवधारणा हेतु इस पायलट प्रोजेक्ट मृदा स्वास्थ्य कार्ड को संज्ञान मे ंलाया गया। मुख्य उद्देश्य कृषको को उनके द्वारा चयनित (गांवप्रधान) और सदस्यों के द्वारा ग्रामीण स्तर पर संज्ञान में लाया जाये पायलट प्रोजेक्ट के अन्तगर्त विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर के अवसर पर जनपद हरिद्वार के 4 ब्लॉक के 4 गावो मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया। पतंजलि जैविक अनुसन्धान संस्थान के द्वारा मृदा स्वस्थ्य कार्ड के वितरण क ेबाद होने वाली किसानो की समस्याओ को ध्यान मे ंरखते हुए उनके निवारण हेतु २७ ऐसे सुझाओ को प्रतिपादित किया है,जिसको प्रयोग में लाकर किसान अपनी मृदा का पोषक प्रबंधन उचित प्रकार से कर सकते है जिसके माध्यम से किसान अपने मृदा स्वस्थ्य कार्ड की रिपोर्ट के अनुसार सुझावो को अपनाकर मृदा के उर्वरता का अधिक संरक्षित कर सकते है, तथा साथ ही उत्पादन को भी बढ़ाया सकता है। उत्पादन को बढ़ाना तथा अनावश्यक खर्च को कम करके ही कृषकों के आय वृद्धि का जो लक्ष्य है उसको आसानी से प्राप्त किया जा सकता है,जिसको प्रयोग मे ंलाकर किसान अपनी मृदा का पोषक  प्रबंधन उचित प्रकार से कर सकते है जिससे उत्पादन,उत्पादकता दोनों पर प्रभाव देखने को मिलेगा और भारतीय किसान समृद्ध होगा। रसायनो उर्वरको के कुप्रबंधन तथा उसके अनुचित प्रयोग से होने वाली मृदास्वस्थ्य की क्षति एवं प्रकृति का रासानिक असंतुलन से बचाने के लिए मृदास्वस्थ्य का स्वस्थ्य रहना बहुत ही आवश्यक है। इन सभी बातो को प्रधान के द्वारा गांव के किसानो को संतुलित उर्वरको का प्रयोग तथा जैविक एवं प्राकृतिक कृषि की अवधारणाओ से अवगत कराया ग्रामीणवासियो को मृदास्वास्थ्य कार्ड वितरण के अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारियो के द्वारा गांववासियो को राज्य तथा केंद्र की बिभिन्न कृषि योजनाओ की जानकारी दी अभिनव प्रयोगःकृषको को मृदास्वास्थ्य कार्ड को अनुशरण में लाने हेतु जिसका उचित प्रयोग करके किसान अपनी मृदा को स्वस्थ रख सकते है,किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप् में गांव के प्रधान के द्वारा गांववासियो के प्रतिजिम्मेदारी का बोध करवाना तथा गांव के लोगो का अपने जनप्रतिनिधि की अनुशंसाओ का अनुसरण कर एक समृद्ध गांव का निर्माण करने हेतु प्रयास किया गया है। यह प्रयोग पतंजलि जैविक अनुसन्धान संस्थान द्वारा प्राथमिकता पर उत्तराखंड राज्य के जनपद हरिद्वार मे ंसम्पादित  किया गया। 


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