हरिद्वार। बीआरपी और सीआरपी का कार्य देख रहे अध्यापकों को उनके मूल विद्यालय में नहीं भेजे जाने के विरोध में राजकीय प्राथमिक शिक्षक एसोसिएशन मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पत्र देकर रोष जताया है। एसोसिएशन का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग अधिकारियों के आदेश जारी होने के बाद भी शिक्षक सीईओ कार्यालय में डटे हुए हैं। सहायक अध्यापकों को सीआरपी पद से कार्यमुक्त कर उनके मूल विद्यालयों में भेजे जाने के आदेश कई बार उच्च स्तर से जारी हो चुके हैं,लेकिन खेद है कि खेद का विषय है कि कतिपय सीआरपी शिक्षकों का भाया दोहन कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। एसोसिएशन का यह भी आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा अमान्य करार किए दिए गए एक गैरपंजीकृत संगठन के पदाधिकारी जो सीआरपी का भी दायित्व देख रहे हैं,गलत तरीके से लेटर हेड का प्रयोग कर कर्मचारियों पर दबाव बना रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीआरसी और बीआरसी के विद्यालय ना जाने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। जबकि वर्ष 2018 में शासनादेश जारी किया जा चुका था कि सीआरपी और बीआरपी में तैनात सभी शिक्षकों की उनके मूल विद्यालय में वापसी करा दी कर दी जाएगी। लेकिन हरिद्वार जनपद में ऐसा नहीं हुआ है अब मुख्य शिक्षा अधिकारी शासनादेश का संज्ञान का हवाला देकर जनपद में तैनात 54 सीआरसी और 6 बीआरपी को उनके मूल विद्यालय भेजने की आदेश जारी करने की बात कर रहे हैं। जबकि विभाग से अभी तक बीआरपी और सीआरपी की स्थाई तौर पर नियुक्ति नहीं हुई है। एसोसिएशन के महामंत्री दर्शन सिंह पवार ने कहा कि शिक्षा मंत्री शिक्षा महानिदेशक विद्यालय शिक्षा को पत्र भेजा है कि अत्यंत आक्रोश का विषय है कि आखिर अधिकारीगण इन लोगों से मित्रता क्यों निभा रहे हैं। ऐसी क्या बात है जो संकुल के प्रधानाध्यापकों से संकुल प्रभारी का काम नहीं लिया जा रहा है। अब प्रशिक्षण में भी इन्हीं लोगों को जिम्मेदारी दी गई है जिसकी एसोसिएशन निंदा करती है। बहादराबाद में बीआरसी और सीआरसी द्वारा शिक्षकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है जिस पर बड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कहा कि आगामी एक सप्ताह के भीतर इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई,तो एसोसिएशन मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर धरना देगी।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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