हरिद्वार। पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से तृतीय सरस्वती पूजन समारोह की जोरदार तैयारियां शुरू हो गई है। कार्यक्रम को भव्य तौर पर मनाने के लिए विचार मंथन जारी है। जल्द ही सरस्वती पूजा आयोजन समिति का गठन कर कार्य को अंतिम स्वरूप दिया जायेगा।गौरतलब है कि वसंत पंचमी हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो कि सरस्वती पूजा नाम से भी जाना जाता है। पूर्वांचल और मिथिलांचल में सरस्वती पूजा धूमधाम से मनाने का प्रचलन है। इसी दिन नौनिहालों का विद्यारंभ संस्कार किये जाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। सनातनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए पूर्वांचल उत्थान संस्था के तत्वावधान में इस साल वसंत पंचमी,सरस्वती पूजा का पर्व 26 जनवरी दिन गुरुवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। विद्वान आचार्य उद्धव मिश्रा ने बताया कि वसंत पंचमी की तिथि 25 जनवरी 12 बजकर 34 पीएम से शुरु हो जाएगी वहीं पंचमी तिथि समाप्त 26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके मध्य पूजन करना श्रेष्ठ होंगा। आचार्य भोगेंद्र झा ने कहा कि हिंदू पंचाग के हिसाब से वसंत पंचमी माघ माह के पांचवे दिन मनाया जाता है। यह हर साल जनवरी के अंत और फरवरी महीने के शुरूआत में ही आती है। वसंत पंचमी की तिथि सूर्योदय और मध्य दिन के बीच की अवधि होती है। पूर्वाहन काल के दौरान जब पंचमी तिथि प्रबल होती है तब बसंत का उत्सव शुरु किया जाता है। डॉ नारायण पंडित ने बताया कि वसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी तो इस त्योहार को मां सरस्वती के जन्मदिन को तौर पर मनाया जाता है। वहीं इस दिन को लेकर राम सहित अन्य कथाएं भी प्रचलित है जिसके कारण इस त्योहार का महत्व बहुत ज्यादा है। वहीं इस दिन महिलाएं और पुरुष पीले रंग के कपड़े पहन कर की पूजा करते है और उनका आशीर्वाद पाते है। पं विनय मिश्रा ने कहा कि वसंत पचंमी के दिन वाद्य यंत्रों की पूजा की जाती है और इनके दान करने की भी मान्यता है जो बौद्धिक कुशाग्रता और स्मृति को बढ़ाने वाला रहता है। शास्त्रों में बसंत पंचमी को र्त्रषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है। पूर्वांचल उत्थान संस्था के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सीए आशुतोष पांडेय, महासचिव बीएन राय एवं कोषाध्यक्ष विनोद शर्मा की ओर से जल्द ही सरस्वती पूजा समारोह आयोजन समिति की मीटिंग बुलाने का निर्णय लिया गया है। जिसमें सभी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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