हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट उत्तराखंड पश्चिम की प्रांतीय उपाध्यक्ष रेखा नेगी ने उत्तराखंड में मनाए जाने वाले घुघुतिया त्यौहार पर बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार मकर संक्रांति के महोत्सव पर समस्त भारतवर्ष में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार के उत्सव त्यौहार मनाये जाते हैं। उसी प्रकार उत्तराखंड के कुमाऊं में इसे घुघुतिया नाम से मनाते हैं। घुघुतिया त्यौहार उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का लोक पर्व है। इस पर्व का मूल स्नान,दान,पुण्य मकर संक्रांति महापर्व से ही जुड़ा है। किन्तु कालांतर कुछ लोक कथाएं या कुछ स्थानीय घटनाएं जुड़ जाने के कारण इसका नाम घुघुतिया त्यौहार पड़ गया। भगवान् सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में समस्त सनातन धर्म के लोग अपनी अपनी संस्कृति अपने अपने रिवाजों के अनुसार उत्सव मानते हैं। घुघुतिया भी इसी प्रकार का उत्सव है जिसे कुमाऊं के लोग अपने लोक विश्वास लोक कथाओं से जोड़ कर मनाते हैं।उन्होने बताया कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मकर संक्रांति को घुघुतिया के रूप में मानते है। सुबह स्नान दान पूजा पाठ करके इस दिन गुड़ के पाक आटे और सूजी के विशेष पकवान मनाते हैं। इसके साथ साथ खीर, पूरी, दाल चावल अन्य पकवान भी बनाये जाते हैं और सभी पकवानो में से कौवे का हिस्सा अलग निकाल लेते हैं। घुघुतिया पर कौओ का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन सुबह सुबह बच्चे काले कावा काले।....,घुघुत की माला खा ले ३३ गा कर कौओ को घुघुत खाने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस त्यौहार में न केवल मीठा खाना, बल्कि मीठा बोलने का भी चलन है। वैसे भी प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा मीठा ही बोलना चाहिए। क्योंकि कटु वचन किसी को भी पसंद नहीं होते हैं। ये खुशिया केवल एक दिन के लिए ही नही, अपितु इसे अपने जीवन में पूरी तरह से उतारे और कटु वचन को भूल जाए। सभी से नम्रता और मिठास के साथ ही बात करे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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