हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना को अत्यन्त गंभीर बताते हुए कहा कि जोशीमठ आपदा अनियोजित विकास का परिणाम है। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड भारत की आध्यात्मिक राजधानी है। जिसमें बद्रीनाथ धाम का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। जोशीमठ में हो रहा भूधंसाव पिछले 15 वर्षो से जारी अनियोजित निर्माण कार्यो का नतीजा है। संत समाज द्वारा इस संबंध में कई बार सरकारों को चेताया गया। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 2010 के कुंभ में भी संत समाज ने परियोजनाओं का विरोध किया था। संत समाज ने कहा था कि बड़ी परियोजनाओं पर रोक लगायी जाए, केवल छोटी परियोजनाएं चलायी जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार प्रभावितों की हर प्रकार से मदद करे। आपदा की इस घड़ी में संत समाज आपदा प्रभावितों के साथ है। अखाड़ा परिषद और संत समाज अपनी और से प्रभावितों की यशासंभव मदद करेगा। सरकार भी अपनी और से प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी एवं अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश अध्यक्ष महंत जसविन्दर सिंह ने कहा कि जोशीमठ आपदा को लेकर केंद्र व राज्य सरकार लगातार सक्रिय है। सरकार की और से पीड़ितों की मदद की जा रही है। संत समाज भी सरकार व आपदा प्रभावितों के साथ सहयोग करने को तत्पर है। उन्होंने कहा कि सरकार को आपदा के कारणों पर विचार करना और रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इस अवसर पर संत जरनैल सिंह, महंत खेमसिंह, महंत सूर्यमोहन गिरी, महंत कृष्णानन्द, महंत अमनदीप सिंह, महंत गोविंददास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, संत सुरजीत सिंह सहित कई संत महंतों ने संकट की इस घड़ी में सरकार को पूरा सहयोग देने की अपील की।
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