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मैकाले की शिक्षा पद्धति का मोक्ष करके राष्ट्र निर्माण का इतिहास गढ़ेंगेः स्वामी रामदेव

 अपने वैयक्तिक धर्म से पहले राष्ट्रधर्म को रखो-आचार्य बालकृष्ण


हरिद्वार। 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पतंजलि के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव तथा संस्था के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि वैलनेस,पतंजलि योगपीठ-2 के योगभवन ऑडिटोरियम से ध्वजारोहण कर पतंजलि परिवार सहित समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ दीं।इस मौके पर पतंजलि विश्वविद्यालय,पतंजलि गुरुकुलम् व आचार्यकुलम् के छात्र-छात्राओं तथा पराक्रम सिक्योरिटी के जवानों ने परेड कर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष और 74वें गणतंत्र दिवस पर हम यह संकल्प लें कि देश को आर्थिक गुलामी,लूट,तबाही,बर्बादी व दरिद्रता से बचाने के लिए, शिक्षा और चिकित्सा की लूट,गुलामी और दरिद्रता से भारत को मुक्त बनाने के लिए, अपने सांस्कृतिक वैभव, गौरव को साथ लेकर गुलामी की निशानियों को मिटाते हुए हम एक स्वस्थ, समृद्ध,संस्कारवान और परम वैभवशाली भारत के निर्माण के लिए संकल्पित हों, प्रतिबद्ध हों और अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी लें। हमने अब तक 5 लाख लोगों को रोजगार दिया है,आगे 5 लाख लोगों को और रोजगार देंगे। आने वाले 5 से 7 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में 5 लाख करोड़ की अहम भूमिका निभाएंगे। 5 लाख से ज्यादा स्कूलों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़कर मैकाले की शिक्षा पद्धति का मोक्ष करके इस देश के बच्चों का चरित्र निर्माण करते हुए राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण का इतिहास गढ़ेंगे। हम जो भारत माता और वंदे मातरम का उद्घोष करते हैं, वह हमारे कार्यों से, हमारे आचरण से प्रतिध्वनित होना चाहिए। स्वामी रामदेव ने कहा कि देश में एक रिलीजियस टेरिरिज्म चल रहा है जो हिंदू सनातन धर्म को नीचे दिखाने में प्रयासरत है। शाश्वत वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मूल्य ही सनातन है। जो इंटर्नल ट्रूथ है,वही सनातन धर्म है। सनातन धर्म पर जो तरह-तरह के लांछन लगाकर,कभी हमारे धर्म शास्त्रों का आश्रय लेकर, हमारे महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर जो कुत्सित प्रयास कर रहे हैं,यह सारे के सारे भारत विरोधी,राष्ट्र विरोधी,अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर षड्यंत्र कर रहे हैं। अपने कुत्सित कुंठाओं और अपनी बौद्धिक दरिद्रता और दिवालियापन के शिकार होकर इस भारत को कहीं ना कहीं अपमानित करने की चेष्टा कर रहे हैं, उनका पुरजोर विरोध सारे देशवासियों को करना चाहिए। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस देश की स्वतंत्रता के लिए 7लाख से ज्यादा वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों को राष्ट्रसेवा में आहुत कर दिया और देश की स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया। अब हमारा दायित्व है कि वीर, शहीदों, क्रांतिकारियों ने जिन सपनों के साथ इस देश का निर्माण किया उसको आगे बढ़ाने के लिए हम सदैव प्रयासरत रहें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को अपने जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता दो,अपने वैयक्तिक धर्म-हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई आदि से पहले राष्ट्रधर्म को रखो। स्वदेशी शिक्षा, स्वदेश के संस्कार,स्वदेश की संस्कृति व अध्यात्म से प्यार करना सीखो, यही राष्ट्रवाद व राष्ट्रप्रेम की परिभाषा है। आचार्य जी ने कहा कि आज का दिन बसंत पंचमी का दिन भी है और बसंत पंचमी उत्सव व हर्ष का दिन है। इस गणतंत्र दिवस को बसंत उत्सव की तरह मनाएं क्योंकि वह हमारे जीवन में कल्याण करने वाला है। कार्यक्रम स्थल देशभक्ति के रंग में डूबा नजर आया,समय≤ पर भारत माता की जय तथा वंदे मातरम् से पूरा प्रांगण गूंजायमान रहा। कार्यक्रम की समस्त रूपरेखा में साध्वी देवप्रिया, स्वामी परमार्थदेव, भाई राकेश व स्वामी आर्षदेव आदि का विशेष योगदान रहा। रामभरत,एन.पी.सिंह,डॉ.ऋतम्भरा,बहन अंशुल,बहन पारूल,स्वामी विदेहदेव,शिवा प्रसाद,प्रो.महावीर अग्रवाल,डॉ.अनुराग वार्ष्णेय,अजय आर्य,श्रीमती अराधना कौल,तरुण राजपूत आदि गणमान्यों के साथ-साथ पतंजलि से सम्बद्ध विविध सेवाप्रकल्पों सहित सभी इकाई प्रमुख,कर्मचारीगण,समस्त संन्यासीगण ,सेवाव्रती भाई-बहन सहित लगभग 10 हजार लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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