हरिद्वार। मकर संक्रांति स्नान पर्व के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित विभिन्न गंगा घाटों पर डुबकी लगाते हुए विशेष पूजा अर्चना कर दान पूण्य किये। शनिवार को सुबह के समय ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हर की पेडी सहित विभिन्न गंगा घाटों पर गंगा में डुबकी लगाकर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की। हालांकि इस बार मकर संक्रांति 2 दिनों तक मनाया जा रहा है। बताया जाता है कि शनिवार को शाम 6ः00 बजे तक संक्रांति रहेगी। ज्योतिष पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्त्व होता है। स्नान के बाद श्रद्धालु खिचड़ी,तिल, गर्म कंबल आदि का दान करते हैं। इसके साथ ही भगवान सूर्य की आराधना भी मकर संक्रांति को की जाती है। वही मेला क्षेत्र को वही मकर संक्रांति स्नान पर पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे पुलिस की ओर से पूरे क्षेत्र को 7 जून और सेक्टरों में विभाजित कर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है हालांकि रविवार को भी जारी रहेगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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