Skip to main content

दक्षेश्वर के रूप में हरिद्वार में विराजमान रहते हैं भगवान शिव-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री


 हरिद्वार। श्री राधे श्याम संकीर्तन मंडली के तत्वावधान में रामनगर कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि दक्ष प्रजापति ने सभा का आयोजन किया। सभा में ऋषि,मुनि,देवी देवता सभी उपस्थित थे। दक्ष प्रजापति सभा में पहुंचे तो सबने उठकर उनका स्वागत किया। लेकिन ब्रह्मा,विष्णु एवं शिव तीनों देवता बैठे रहे। दक्ष प्रजापति ने इसे अपना अपमान जान कर क्रोधित होकर कहा कि ब्रह्मा ने मेरा स्वागत नहीं किया, यह मेरे जन्मदाता पिता हैं। विष्णु ने मेरा स्वागत नहीं किया, वह मेरे दादाजी हैं। इन्हीं के द्वारा ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई है। परंतु शिव जिसको मैंने अपनी बेटी का कन्यादान दिया है। शिव ने उठ करके मेरा स्वागत नहीं किया। सदा भूत प्रेतों का संग करने वाले और श्मशान में रहने वाले शिव को क्या पता कि कैसे दूसरे सम्मान किया जाता है। दक्ष ने शिव का बहुत अपमान किया। शिव के गणों को यह सब बेहद बुरा लगा। इस पर नंदी ने दक्ष को श्राप देते हुए कहा कि दक्ष तुम बहुत मै मै करते हो जो मै मै करता है, वह बकरे की योनि में जाता है। तुम्हारे धड़ से बकरे का सिर लग जाए। दक्ष के अनुयायियों ने भी शिव गणों को श्राप देते हुए कहा कि तुम भिक्षुक हो जाओ। भगवान शिव ने देखा कि झगड़ा ज्यादा बढ़ रहा है, तो वे कैलाश पर्वत को चले गए। शिव गण भी कैलाश पर्वत पहुंच गए। दक्ष प्रजापति ने शिव अपमान के लिए कनखल में यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में सभी को आमंत्रित किया किया। लेकिन शिव को निमंत्रण नहीं दिया। जब सती को पता चला कि उनके पिता के यहां यज्ञ हो रहा है तो वह बिना शिव की आज्ञा के यज्ञ में पहुंच गई और शिव का अपमान देख कर यज्ञ में अपना शरीर त्याग दिया। इसका पता चलने पर शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न किया। वीरभद्र ने यज्ञ का विघ्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काटकर यज्ञ कुंड में स्वाहा कर दिया। सभी द्वारा की गयी स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दक्ष के धड़ से बकरे का सिर जोड़कर उन्हें जीवनदान दिया। तब भगवान नारायण प्रकट हुए। सभी ने भगवान नारायण एवं भगवान शिव से वरदान मांगा कि आज से हरिद्वार में ही दक्षेश्वर के रूप में भगवान शिव सदा सर्वदा विराजमान हो जाएं और भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करें। तभी से भगवान दक्षेश्वर के रूप में हरिद्वार कनखल में विराजमान है। जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति के साथ हरिद्वार आकर भगवान शिव का पूजन करता है। भगवान शिव उनकी समस्त मनोकामना को पूर्ण कर देते है। कथा के मुख्य यजमान कंचन अरोड़ा,सागर अरोड़ा,सारिका अरोड़ा,सौरभ मुद्गल,हेमलता मुद्गल,रामचंद्र जड़वानी,दीपिका अरोड़ा,वंती देवी,कमलेश अरोड़ा,आदेश चंद्र सक्सेना,ममता सक्सेना, नरेश अरोड़ा, वंदना अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा,कमल अरोड़ा,राजकुमार अरोड़ा,नीलम अरोड़ा,पंडित गणेश कोठारी,पंडित जगदीश प्रसाद खंडूरी आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया। 


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस