हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा है कि गोस्वामी समाज संतों की संतान है। जो सन्यासी गृहस्थ जीवन अपना लेते थे। शास्त्रों के अनुसार उन्हें दशनाम गोस्वामी कहा जाता है। दशनाम गोस्वामी समाज की महिला हो या संत सभी को देहांत के बाद भूसमाधि या जल समाधि दी जाती है। मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट की ट्रस्टी बिंदु गिरी को समाधि दिए जाने पर स्थिति स्पष्ट करते हुए श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि परंपरा और शास्त्रों के अनुसार ही बिंदु गिरी को समाधि दी गयी है। इस संबंध में कुछ लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे लोगों को बयानबाजी करने से पहले शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। परंपरांओं पर सवाल उठाना किसी भी तरह से उचित नहीं है। भारत माता मंदिर के महंत निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म की परंपरांए अत्यन्त विशिष्ट हैं। परंपरांओं के तहत ही बिंदु गिरी को भूसमाधि दी गयी है। परंपरांओं पर विवाद करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि बिंदु गिरी ने संतों के सानिध्य में रहते हुए हमेशा ही सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान किया। मनसा देवी मंदिर में आने श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने में भी उनका विशेष सहयोग रहा। बिंदू गिरी जैसी पुण्यात्मा के देहवसान के बाद उनके संबंध में विवाद उत्पन्न करना किसी भी तरह से उचित नहीं है।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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