हरिद्वार। भेल प्रबंधन पर स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर कुठाराधात करने का आरोप लगाते हुए भेल ट्रेड यूनियनों ने हीप मेन गेट पर धरना प्रदर्शन किया। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि भेल में संचालित ईएमबी द्वारा संचालित बाल भारती स्कूल को बंद कर दिया गया है। जबकि केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में छात्राओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। भेल अस्पताल को भी पीपीपी मोड़ पर दिया जा रहा है। भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजकिशोर की अध्यक्षता में आयोजित धरने को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक रामयश सिंह ने कहा कि भेल कर्मियों को बेहतर और निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं एवं भेल कर्मियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना भेल प्रबंधन का नीतिगत उत्तरदायित्व है। लेकिन भेल प्रबंधन अपने इस उत्तरदायित्व से पीछे हटना चाह रहा है। जोकि पब्लिक सेक्टर यूनिट के महारत्न के लिए शर्मनाक है। इंटक के राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य समेत देश के सभी सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण कर कॉरपोरेट पूंजीपतियों को कौड़ियों के दाम बेचकर निजीकरण की नीति पर काम कर रही हैं। भेल प्रबंधन मजदूरों को गुमराह कर रहा है। भेल की आर्थिक हालत खराब है तो इसके लिए भेल प्रबंधन एवं सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं। एचएमएस के पंकज शर्मा ने कहा कि श्रमिक संगठनों द्वारा पूछे गए प्रश्र पर संगठनों को बताया गया है कि मुख्य चिकित्सालय का समस्त स्टाफ निजी संचालक का होगा। ऐसे में भेल के चिकित्सीय कर्मचारीयो के हित कैसे सुरक्षित होगें। उन्हें दूरदराज इकाइयों में स्थानांतरण की पीड़ा को झेलना पड़ेगा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सालय में भर्ती होने पर कुल बिल राशि का 20 फीसदी जमा कराना होगा और ओपीडी के संदर्भ में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ यह दोहरी नीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जब चिकित्सालय में बाहरी लोगों का इलाज भी होगा तो भेल कर्मियों की वरीयता कैसे सुनिश्चित होगी। एटक के नईम खान ने कहा कि वर्तमान में संचालित 5 सेक्टर डिस्पेंसरी की संख्या घटाकर 2 कर दी जाएगी। जिससे भेल उपनगरी में रहने वाले कर्मचारियों को असुविधा का करना पड़ेगा। भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजकिशोर ने कहा कि बीएचईएल के शिक्षा और स्वास्थ्य से हाथ पीछे खींचने के पीछे 1991 में लागू की नई आर्थिक नीतियां हैं। इन नीतियों का सभी को मिलकर मुकाबला करना होगा। प्रबंधन के द्वारा दी गई जानकारी के बाद बी.एच.ई.एल के कर्मचारी अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। धरने के पश्चात श्रमिक यूनियनों की और से भेल के जीएम (एचआर) को ज्ञापन भी सौंपा गया। धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन देने वालों में मुकुल राज,अश्विनी चैहान, राधेश्याम,मनीष सिंह,विकास सिंह,रवि कश्यप,सौरव त्यागी, अवधेश कुमार,निशू कुमार,प्रशांत गुप्ता,मोहित शर्मा,परितोष,अमरजीत, कृष्ण कुमार,नागेश पटेल आदि प्रमुख रूपसे शामिल रहे।
हरिद्वार। भेल प्रबंधन पर स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर कुठाराधात करने का आरोप लगाते हुए भेल ट्रेड यूनियनों ने हीप मेन गेट पर धरना प्रदर्शन किया। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि भेल में संचालित ईएमबी द्वारा संचालित बाल भारती स्कूल को बंद कर दिया गया है। जबकि केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में छात्राओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। भेल अस्पताल को भी पीपीपी मोड़ पर दिया जा रहा है। भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजकिशोर की अध्यक्षता में आयोजित धरने को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक रामयश सिंह ने कहा कि भेल कर्मियों को बेहतर और निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं एवं भेल कर्मियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना भेल प्रबंधन का नीतिगत उत्तरदायित्व है। लेकिन भेल प्रबंधन अपने इस उत्तरदायित्व से पीछे हटना चाह रहा है। जोकि पब्लिक सेक्टर यूनिट के महारत्न के लिए शर्मनाक है। इंटक के राजबीर सिंह ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य समेत देश के सभी सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण कर कॉरपोरेट पूंजीपतियों को कौड़ियों के दाम बेचकर निजीकरण की नीति पर काम कर रही हैं। भेल प्रबंधन मजदूरों को गुमराह कर रहा है। भेल की आर्थिक हालत खराब है तो इसके लिए भेल प्रबंधन एवं सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं। एचएमएस के पंकज शर्मा ने कहा कि श्रमिक संगठनों द्वारा पूछे गए प्रश्र पर संगठनों को बताया गया है कि मुख्य चिकित्सालय का समस्त स्टाफ निजी संचालक का होगा। ऐसे में भेल के चिकित्सीय कर्मचारीयो के हित कैसे सुरक्षित होगें। उन्हें दूरदराज इकाइयों में स्थानांतरण की पीड़ा को झेलना पड़ेगा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सालय में भर्ती होने पर कुल बिल राशि का 20 फीसदी जमा कराना होगा और ओपीडी के संदर्भ में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ यह दोहरी नीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जब चिकित्सालय में बाहरी लोगों का इलाज भी होगा तो भेल कर्मियों की वरीयता कैसे सुनिश्चित होगी। एटक के नईम खान ने कहा कि वर्तमान में संचालित 5 सेक्टर डिस्पेंसरी की संख्या घटाकर 2 कर दी जाएगी। जिससे भेल उपनगरी में रहने वाले कर्मचारियों को असुविधा का करना पड़ेगा। भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजकिशोर ने कहा कि बीएचईएल के शिक्षा और स्वास्थ्य से हाथ पीछे खींचने के पीछे 1991 में लागू की नई आर्थिक नीतियां हैं। इन नीतियों का सभी को मिलकर मुकाबला करना होगा। प्रबंधन के द्वारा दी गई जानकारी के बाद बी.एच.ई.एल के कर्मचारी अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। धरने के पश्चात श्रमिक यूनियनों की और से भेल के जीएम (एचआर) को ज्ञापन भी सौंपा गया। धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन देने वालों में मुकुल राज,अश्विनी चैहान, राधेश्याम,मनीष सिंह,विकास सिंह,रवि कश्यप,सौरव त्यागी, अवधेश कुमार,निशू कुमार,प्रशांत गुप्ता,मोहित शर्मा,परितोष,अमरजीत, कृष्ण कुमार,नागेश पटेल आदि प्रमुख रूपसे शामिल रहे।
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