हरिद्वार। स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 18 फरवरी को शाम 06ः32 बजे से होगा और इस तिथि का समापन 19 फरवरी को संध्या 02ः48 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के समय की जाती है,इसलिए शिवरात्रि व्रत 18 फरवरी को ही मनाया जायेगा। श्रीशिवोपासना धर्मार्थ ट्रस्ट,डरबन,साऊथ अफ्रीका के संस्थापक एवं निरंजनी अखाड़े के स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष चतुर्दशी का प्रारंभ 18 फरवरी को शाम 06ः32 बजे से होगा और इस तिथि का समापन 19 फरवरी को संध्या 02ः48 मिनट पर होगा। चुंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के समय की जाती है, इसलिए शिवरात्रि व्रत 18 फरवरी के दिन रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिष पंचांग के अनुसार प्रथम प्रहर की पूजा शाम 06ः21 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन अगली सुबह 07 बजे होगा। निशिता पूजा का समय मध्य रात्रि 12ः02 बजे से 12ः47 बजे तक रहेगा। स्वामी रामभजन वन महाराज बताते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन की गई पूजा का फल कई प्रकार से साधकों को प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी दुख और पीड़ा दूर हो जाती है, साथ ही सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है। जो भक्त इस दिन केवल ‘नमः शिवाय‘ इस मूल मंत्र का भी जाप करते हैं, भोलेनाथ उनपर भी अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाएं रखते हैं।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
Comments
Post a Comment