हरिद्वार। विश्व शांति के लिए शतचंडी महायज्ञ का आयोजन 26 फरवरी को श्यामपुर कांगड़ी में वीरभद्र सेवाश्रम न्यास आश्रम में किया जायेगा। जानकारी देते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी गर्वगिरी फरसे वाले बाबा ने बताया कि परमार्थ को जीवन समर्पित करने वाले संत सदैव भक्तों व मानव कल्याण के लिए प्रयासरत रहते हैं। सनातन धर्म में यज्ञ का विशेष महत्व है। यज्ञ के दौरान दी जाने वाली आहुतियों से प्रसन्न होकर देवी देवता कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यज्ञ वेदी से उठने वाला धुंआ जहा जहां आवरण बनाता है। उस क्षेत्र में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और सकारात्मक वातावरण बनता है। उन्होंने कहा कि शतचंडी महायज्ञ के आयोजन से विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त होता है। मानवता का कल्याण हो, देश दुनिया में आर्थिक प्रगति हो और लोगों को रोगों से मुक्ति मिले इसी कामना के साथ यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। स्वामी गर्वगिरी महाराज ने कहा कि महायज्ञ के दौरान श्रद्धालु भक्तों को विद्वान संतों का सानिध्य प्राप्त होगा। धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार होगा। उन्होंने श्रद्धालु भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में यज्ञ में सम्मिलित होने का आह्वान किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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