हरिद्वार। 14 वर्षीय किशोरी से बहला-फुसलाकर भगा ले जाने षडयंत्र रच कर शादी के बहाने दुष्कर्म करने एवं पोक्सो एक्ट के मामले में एडीजे/एफटीएससी कोर्ट न्यायाधीश कुमारी कुसुम शानी ने आरोपी चार अभियुक्तगण को दोषी पाया है। कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को 10वर्ष की कठोर कैद व एक लाख तीस हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है। शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र चैहान ने बताया कि 20 मई 2019 लक्सर क्षेत्र के एक पीड़ित किशोरी की मिली भगत कर शादी कराने दुष्कर्म करने की वारदात का खुलासा हुआ था। शिकायतकर्ता पीड़िता की माता ने पुलिस को बताया था कि मई 2019 में अभियुक्त अनुसुइया ने अभियुक्तगण मुनेश पुत्र शोभाराम निवासी ग्राम कुआं खेड़ा लक्सर, अनूप गिरी पुत्र सूरजभान गिरी निवासी गधा रोना मंगलौर को मुझसे शिकायतकर्ता की शादी कराने के लिए मिलवाया था। फिर शिकायतकर्ता अपनी 14 वर्षीय पुत्री को लेकर उनके साथ हरिद्वार पहुंची थी। यही नहीं शिकायतकर्ता महिला की शादी कराने के बजाय अभियुक्त कौन अनुसुइया,अनूप गिरी,मुनेश ने उसकी नाबालिग लड़की को अभियुक्त नरेश पुत्र कांति निवासी आसमाबाद परीक्षित जिला मेरठ यूपी को भेज दिया था। अभियुक्तगण ने उसे लक्सर के गांव कुआखेड़ा में छोड़ दिया था। शिकायतकर्ता माता ने चारों अभियुक्त पर अपनी नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने षडयंत्र कर बेचने व दुष्कर्म और पोक्सो के संबंध में कराया था। इसके बाद स्थानीय पुलिस ने सभी अभियुक्त को गिरफ्तार कर पीड़ित किशोरी को अभियुक्त नरेश के कब्जे से बरामद किया था। पीड़ित किशोरी ने अपने परिजनों और पुलिस को आपबीती बताई थी। बताया था कि आरोपी ने उसे बहला-फुसलाकर जाने के बाद उससे शादी कर पत्नी की तरह शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। पुलिस ने चार अभियुक्तगण को संबंधित धाराओं में चालान कर जेल भेज दिया था। मामले की विवेचना के बाद विवेचक ने सभी अभियुक्त गण के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। शासकीय अधिवक्ता ने सरकार की ओर से 7 गवाह पेश किए।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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