हरिद्वार। उत्तराखंड कलेक्ट्रेट मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ के नेतृत्व में गुरुवार को मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ हरिद्वार ने संगठन की शासन राजस्व परिषद मे लंबित मांगो को विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट भवन सहित नगर में स्टेट कार्यालय और तहसीलों में विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की। जिले की चारों तहसीलों कर कर्मचारियों ने एकत्रित होकर अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर जोरदार मांग उठाई। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर विरोध भी व्यक्त किया संघ के जिला अध्यक्ष नवीन मोहन शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर कई सरकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। बताया कि कर्मचारी संघ कलेक्ट्रेट ढांचे के पुनर्गठन नायब तहसीलदार के पदों पर 10ः पदोन्नति का कोटा निर्धारित करने कलेक्ट्रेट को विशेष विभाग का दर्जा दिए जाने मुख्य एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के रिक्त पदों पर पदोन्नति एवं मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों को तहसीलदार का लिंक अधिकारी घोषित किए जाने आदि मांगों को लेकर संघर्षरत है। मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहा है इसके बावजूद सरकार और शासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है। संघ ने चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो प्रांतीय नेतृत्व के निर्देशन में कर्मचारी उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इस दौरान संघ के जिला महामंत्री गौतम शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंकज राजपूत, कनिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमोद पंत, तहसील संगठन मंत्री कुंदन सिंह, डिप्टी सिंगल, सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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