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देश की एकता अखण्डता बनाए रखने में संत समाज का अहम योगदान-स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ

 


हरिद्वार। सनातन संस्कृति के अनुरूप भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए ब्रह्मराष्ट्र एकम द्वारा सप्तऋषि क्षेत्र स्थित अदभूत मंदिर में राष्ट्रीय सनातन अधिवेशन का आयोजन किया गया। अधिवेशन में शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन, युवाओं में नशे की प्रवृति पर रोक लगाने, पाश्चात्य संस्कृति की बोलचाल भाषा को रोकना, ब्रिटिश न्यायिक प्रणाली के अनुपालन को भारतीय संस्कृति के अनुसार लाना, भारत को हिन्दू महाशक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के महाभियान आदि पर वक्ताओं ने विचार रखे। अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों ने हमेशा ही देश की एकता अखण्डता बनाए रखने में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज सनातन परंपरांओं और धर्म शास्त्रों पर अनर्गल टिप्पणी सनातन धर्म पर कुठाराघात किया जा रहा है। जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। युवा वर्ग को नशे व पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर सनातन धर्म संस्कृति और परंपरांओं को अपनाते हुए धर्म रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। एकजुट होकर ही सनातन धर्म की रक्षा की जा सकती है। डा.सचिन सनातनी ने कहा कि सनातन धर्म के अत्यन्त प्राचीन होने के हजारों वैज्ञानिक प्रमाण हैं। लेकिन मानसिक विकास से ग्रसित लोग अनर्गल टिप्पण्ीयां कर सनातन धर्म पर कटाक्ष कर रहे हैं। जो कि अत्यन्त निंदनीय और अशोभनीय है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत को शक्तिशाली हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए ब्रह्मराष्ट्र एकम का पहला अधिवेशन श्रृंगेरी मठ वाराणसी में आयोजित किया गया था। वसुधैव कुटुंबकम की भावना से कार्य करने वाले ब्रह्मराष्ट्र एकम का स्पष्ट मत है कि इस धरती पर सभी मानव एक परिवार की तरह हैं। भारत सदियों से सभी के कल्याण की बात करता आ रहा है। भारतीय युवाओं को सनातन धर्म संस्कृति के अनुरूप सुसंस्कृत किया जाएगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुंवर राजेंद्र नरूका, राष्ट्रकवि गजेंद्र सोलंकी, गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप झा, महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयी आनंद, संचालक आचार्य आनंद बल्लभ पांडेय, सुनील शास्त्री, सतीश चंद्र मिश्र, रविंद्रनाथ मिश्र, राजेंद्र शर्मा, पावन, उपेंद्रनाथ, संतोष कश्यप, अखिलेश रावत, दीनदयाल मिश्र, अभिषेक शुक्ल, बलराम मिश्र आदि ने भी विचार रखे। अधिवेशन के दौरान भूमा मेडिकल कालेज की छात्राओं ने कुमांऊ और गढ़वाली नृत्य के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम आयोजक डा.सचिन सनातनी, पंडित दिवाकर द्विवेदी, सतीश चंद्र मिश्रा, रविंद्रनाथ मिश्रा व प्रिया मिश्रा ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। 


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