देसंविवि व शांतिकुंज स्थित शिवालय में देर सायं तक श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना
हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव का गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने महाभिषेक कर विश्व शांति की कामना की। गायत्री परिवार के हजारों श्रद्धालुओं के प्रतिनिधि के रूप में प्रमुखद्वय ने पुरुष सूक्त, महाकालाष्टक, रुद्राष्टक व अन्य वैदिक कर्मकांड के साथ पूजा अर्चना की। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि यदि हम जीवन में शुभ कार्य करें, तब ही हम कल्याणकारी शिव के प्रिय बन सकेंगे। भले कार्य में लगे रहना ही शिव पूजा है। हमें शिव की तरह उदार होना चाहिए और विवेक स्वरूप तीसरा नेत्र खुला हुआ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान् शिव का मानव को संदेश है कि ‘हे संसार के लोगो! उठो,जागो यदि अपनी और दूसरों की सुख-शान्ति चाहते हो,तो अपरिग्रह,सादा जीवन, उच्च विचार,अक्रोध,परोपकार,समता,परमात्मा की समीपता को अपनाओ। भोग-विलास का जीवन व्यतीत करने से क्षणिक सुख भले ही मिल जाए, परन्तु उनमें स्थायित्व नहीं है। स्वार्थ में क्षणिक आनन्द अवश्य आता है,परन्तु उसका अन्त पतन में है। डॉ पण्ड्या ने कहा कि केवल अपनी उन्नति में ही सन्तुष्ट न रहो,वरन् दूसरों की,अपने समाज और राष्ट्र की उन्नति को अपनी सफलता मानो।’यदि इन बातों को हम अपने अंतःकरण में स्थान देते हैं,तो हम सच्चे शिव उपासक सिद्ध होंगे। विवि की कुलसंरक्षिका शैलदीदी ने कहा कि स्वयं कम से कम साधनों से काम चलाते हुए दूसरों को बहुमूल्य उपहार का दान देना एवं ऐसे कृत्यों से मन को प्रफुल्लित रखे रहना शिव के प्रधान गुण हैं। पुरुष सूक्त व महाकालाष्टक के साथ रुद्राभिषेक का वैदिक कर्मकाण्ड श्याम बिहारी दुबे एवं उदयकिशोर मिश्र ने किया। संगीत विभाग के भाइयों ने सुमधुर शिव आराधना से सम्पूर्ण परिसर को मंत्रमुग्ध कर दिया। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव एवं शांतिकुंज स्थित शिवालय में विशेष पूजा, रुद्राभिषेक,शिवाभिषेक का क्रम देर सायं तक चलता रहा। इस अवसर पर देवसंस्कृति विवि के कुलपति शरद पारधी,कुलसचिव बलदाऊ देवांगन सहित समस्त स्टाफ,विद्यार्थियों, शांतिकुंज के अंतेःवासी कार्यकर्त्ता एवं देश विदेश से आये शिव भक्त मौजूद रहे।
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