हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से संबद्ध दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। इस संगोष्ठी में सन् २०२३ की कार्य योजना पर गहन विचार विमर्श किया गया। शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने प्रतिभागियों को भारतीय संस्कृति से युवाओं को जोड़ने के लिए प्रेरित किया। संगोष्ठी को आनलाइन संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ही आत्मिक व आध्यात्मिक विकास निहित है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि भारत ही एक ऐसा देश है,जहाँ प्रत्येक मानवों के विकास के संबंध कार्य होता है। प्रतिकुलपति ने कहा कि बाल्याकाल से ही बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने से उनमें शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक तीनों स्तर पर विकास होगा और इससे उन्हें अवसाद, तनाव, चिंता, निराशा, दुर्भाव आदि समस्याओं से बचाया जा सकता है। दो दिन चले इस संगोष्ठी में कुल बारह सत्र हुए,जिसमें विषय विशेषज्ञों ने भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जुड़े शिक्षकों, सक्रिय सदस्यों, जिला एवं प्रांतीय समन्वयकों का मार्गदर्शन किया।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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