हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि पंचांग के अनुसार 07 मार्च को होलिका दहन होगा और 8 मार्च को रंगों की होली होगी। शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी राम भजन वन महाराज ने कहा कि फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन चौत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन की तिथि पर सुबह में भद्रा रहेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी। पूर्णिमा तिथि का समापन 07 मार्च दिन बुधवार को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन 07 मार्च दिन मंगलवार को होगा। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि 07 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय 02 घंटे 27 मिनट तक है। इस समय में होलिका पूजन होगा और फिर होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दिन 07 मार्च को भद्रा सुबह 05 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार 08 मार्च को मनाया जाएगा। 08 मार्च को चौत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 42 मिनट तक है।स्वामी रामभजन वन कहा कि शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को तैयार किया। होलिका के पास एक चादर थी, जिसको ओढ़ लेने से उस पर आग का प्रभाव नहीं होता था। इस वजह से वह फाल्गुन पूर्णिमा को प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर मर गई। इस वजह से हर साल होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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