हरिद्वार। गायत्री के सिद्ध साधक पं.श्रीराम शर्मा आचार्यश्री की तपोभूमि शांतिकुंज में देश-विदेश से हजारों साधक नवरात्र साधना करने पहुँचे हैं। साधकों ने अनुष्ठान संकल्प लेकर हवन के साथ नवरात्र साधना का क्रम प्रारंभ किया। इस अवसर पर आयोजित 27 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में कई पारियों में साधकों ने अनुष्ठान की सफलता एवं समाज के चहुंमुखी विकास की प्रार्थना के साथ यज्ञाहुतियाँ दीं। नवरात्र साधना के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए अशरणशरण श्रीवास्तव ने कहा कि इन दिनों वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा घनीभूत रहती है। इसी ऊर्जा को आत्मसात करने के लिए साधना की जाती है। उन्होंने कहा कि सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी गायत्री है, इसलिए नवरात्र के अवसर पर गायत्री साधना से साधक उस चौतन्य प्रवाह को विशिष्ट साधना के द्वारा आकर्षित कर अपने व्यक्तित्व को प्रतिभा संपन्न बनाते हैं। इससे पूर्व साधकों का अनुष्ठान संकल्प के अवसर पर संस्कार प्रकोष्ठ के आचार्यों ने साधना पद्धति एवं दिनचर्या पर विस्तार से जानकारी दी। उधर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के सैकड़ों युवाओं ने भी साधना के लिए संकल्पित हो सामूहिक जप अनुष्ठान प्रारंभ किया। शांतिकुंज मीडिया विभाग ने बताया कि कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या रामनवमी तक नित्य सायं विशेष कक्षाएँ लेंगे जिसमें देसंविवि के युवा साधकों को साधना की पृष्ठभूमि से लेकर सफलता तक के विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करेंगे। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने हिन्दी नववर्ष की शुभकामनाएँ दीं। कहा कि इस बार संवत्सर का नाम पिंगल होगा,राजा बुध ग्रह होंगे और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने हिन्दी नववर्ष की शुभकामनाएँ देते हुए साधकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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