हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में रामनगर कालोनी स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि गौमाता की सेवा करने की वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोपाल नाम पड़ा। श्रीकृष्ण की गौ भक्ति के बारे में श्रीमद् भागवत महापुराण में प्रसंग आता है कि कृष्ण जब तक वृंदावन में रहे तब तक उन्होंने ने नंगे पैरों वृंदावन में गोचरण लीला की। एक बार मैया यशोदा ने कृष्ण से कहा कि कृष्ण जब तुम वन में गाय चराने जाते हो तब चरण पादुका पहनकर जाया करो। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा कि जब मेरी गाएं बिना चरण पादुका के वन में जाती हैं, तो मै कैसे चरण पादुका पहन सकता हूं। यदि मेरी गौमाता को चरण पादुका पहना सको तो मै भी चरण पादुका पहन लूंगा। कथा व्यास ने कहा कि श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को गौसेवा करनी चाहिए। गौसेवा करने से समस्त देवी देवताओं की कृपा होती है। कथा व्यास शास्त्री ने महारास लीला, कंस का संहार एवं द्वारिकापुरी का निर्माण और श्रीकृष्ण के द्वारिकाधीश पद पर सुशोभित होने की कथा भी श्रद्धालुओं को श्रवण करायी। इस दौरान सभी भक्तों ने मिलकर देवी रुक्मणी एवं द्वारिकाधीश का विवाह महोत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया। इस अवसर पर मुख्य जजमान महेंद्र शर्मा,रिंकू शर्मा,राजू,पूनम,कनक सिंह ठाकुर, बॉबी देवी ठाकुर, नारायण दत्त जोशी,सारिका जोशी, शिवम ब्रह्म, शिवी ब्रह्म,कुमारी रिया पबरेजा,राकेश गुप्ता, प्रीति गुप्ता, विवेक रस्तोगी,अर्चना रस्तोगी,अभिषेक सिकोरिया,विनीता सिकोरिया,दिनेश जोशी,नेहा जोशी, पार्षद रेनू अरोड़ा,समाजसेवी चिराग अरोड़ा,धीरज शर्मा,मोहन जोशी,गणेश कोठारी आदि ने भागवत पूजन किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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