हरिद्वार। सातवें नवरात्र पर श्रद्धालु भक्तों ने मां कालरात्रि का पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की। धर्मनगरी में चैत्र नवरात्र धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। मंदिरों के साथ घरों में भी प्रतिदिन देवी पूजन किया जा रहा है। श्यामपुर कांगड़ी क्षेत्र के बाबा वीरभद्र सेवाश्रम ट्रस्ट आश्रम में नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा अर्चना कर लोक कल्याण की कामना की गई। बाबा वीरभद्र सेवाश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि महाराज ने कहा कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। उन्होनें कहा कि मां का रंग काला होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया है। मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य है, स्थित करना चाहिए। मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान गणेश की स्तुति करें। मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद है। इसलिए महा सप्तमी के दिन माता को गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और सभी मनोरथ पूर्ण होते है। महामंडलेश्वर गर्व गिरि ने कहा कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से दैवीय आपदा समाप्त होती है और देश और प्रदेश में सुख शांति स्थापित होती है।
हरिद्वार। सातवें नवरात्र पर श्रद्धालु भक्तों ने मां कालरात्रि का पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की। धर्मनगरी में चैत्र नवरात्र धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। मंदिरों के साथ घरों में भी प्रतिदिन देवी पूजन किया जा रहा है। श्यामपुर कांगड़ी क्षेत्र के बाबा वीरभद्र सेवाश्रम ट्रस्ट आश्रम में नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा अर्चना कर लोक कल्याण की कामना की गई। बाबा वीरभद्र सेवाश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि महाराज ने कहा कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। उन्होनें कहा कि मां का रंग काला होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया है। मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य है, स्थित करना चाहिए। मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान गणेश की स्तुति करें। मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद है। इसलिए महा सप्तमी के दिन माता को गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और सभी मनोरथ पूर्ण होते है। महामंडलेश्वर गर्व गिरि ने कहा कि मां कालरात्रि की पूजा अर्चना करने से दैवीय आपदा समाप्त होती है और देश और प्रदेश में सुख शांति स्थापित होती है।
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