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शत्रुओं का संहार करती है मां काली-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री


 हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में निकट शास्त्री नगर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के सप्तम दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने मां काली की उत्पत्ति की कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि प्राचीन समय में दनु नामक दैत्य के रंभ नमक पुत्र से महिषासुर एवं रक्तबीज की उत्पत्ति हुई। रक्तबीज नामक दैत्य ने दस हजार वर्षों तक ब्रह्मा की तपस्या कर उनसे कई वरदान प्राप्त किए। जिसमें से एक वरदान के फलस्वरूप रक्तबीज के रक्त की बूंद पृथ्वी पर गिरते ही हजारों रक्तबीज उत्पन्न हो जाते थे। वरदान प्राप्त कर रक्तबीज ने देवताओं को युद्ध हराकर स्वर्ग सिंहासन पर विराजमान हो गया। देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की और नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखकर नवरात्रि पूजन किया। जिससे प्रसन्न होकर मां भगवती खड़ग एवं खप्पर धारण कर युद्ध भूमि में रक्तबीज से युद्ध करने लगी। रक्तबीज के रक्त की बूंदों से हजारों हजार रक्तबीज उत्पन्न होने लगे तो मां काली ने खड़ग से रक्तबीज के सर एवं धड़ को अलग कर दिया और खप्पर से रक्तबीज के रक्त का पान करना प्रारंभ किया और रक्तबीज नामक दैत्य का संहार किया। मां भगवती ने देवताओं को आशीर्वाद दिया कि जो भी उनके काली स्वरूप का पूजन करेगा उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होंगी। शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि के सप्तम दिवस पर मां काली की आराधना उपासना करने से मां काली समस्त शत्रुओं का विनाश कर देती है। इस अवसर पर मुख्य जजमान संतोष बब्बर, सुदर्शन बब्बर, विवेक भाटिया,अरुण सिंह राणा,पार्षद राजेंद्र कटारिया,पुष्पा श्रीवास्तव,मीनू सचदेवा,संजय सचदेवा, नीति शर्मा, आदेश शर्मा, विनय कुमार गुप्ता,मूलचंद चौधरी,धूम सिंह वर्मा,संतोष कुमार, ओम प्रकाश कुकरेजा,कमलनयन गोस्वामी,देवेंद्र कुमार चुग,कुलदीप शर्मा, लोकेश शर्मा, रामबाबू सिंह, नरेंद्र कुमार, सूरज शुक्ला, शिवम शुक्ला आदि ने देवी भागवत का पूजन किया।


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