हरिद्वार।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या ने कहा कि मनोयोगपूर्वक की गयी सात्विक साधना में इतनी शक्ति होती है कि साधक को परब्रह्म की प्राप्ति हो सकती है। कुलाधिपति डॉ.पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित नवरात्र साधना सत्संग शृंखला के सातवें दिन देश विदेश से आये गायत्री साधकों एवं देसंविवि के युवाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनु, सतरूपा, स्वामी रामकृष्ण परमहंस आदि ने कठोर तप, साधना से विशेष शक्तियाँ प्राप्त की थी। परमात्म से मिलन का उपाय साधना, उपासना को बतलाया गया है। किन्तु यह उपाय भी तभी सफल होते हैं जब इनमें भी अटूट श्रद्धा, समर्पण हो। यह श्रद्धा, भक्ति, आस्था, विश्वास आदि किसी रूप में भी हो सकता है। श्रद्धा से रहित कोई भी साधना सफल नहीं हो सकती। प्रेम की व्याकुलता ही परमात्मा से मिलाने में समर्थ है। इससे पूर्व ‘मेरे घटवासी राम....’सुमधुर गीत से संगीत विभाग ने साधकों के मन को भावविभोर कर दिया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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