Skip to main content

सात्विक साधना से साधुता की प्राप्ति: डॉ पण्ड्या


 हरिद्वार। देश विदेश से हजारों साधक इन दिनों तीर्थ नगरी हरिद्वार में पहुंचे हैं। ये सभी अपने अपने गुरुधामों में नवरात्र साधना में जुटे हैं। इसी क्रम में प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान शांतिकुंज में भी कई हजार गायत्री साधक पहुंचे हैं और सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से सामूहिक जप, तप के साथ हवन कर रहे हैं। वहीं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के सैकड़ों युवा शैक्षणिक अध्ययन के साथ आध्यात्मिक विकास के लिए गायत्री साधना में संलग्न हैं। साथ ही विद्यार्थियों को सफलता के विभिन्न आयामों की जानकारी देने के उद्देश्य से देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या रामचरित मानस पर नवरात्र के प्रथम दिन से मार्गदर्शन दे रहे हैं। इसी क्रम में देवसंस्कृति विवि के मृत्युंजय सभागार में साधकों को संबोधित करते हुए कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सात्विक साधना से साधक को साधुता की प्राप्ति होती है। इसीलिए सद्गुरु अपने शिष्यों को सात्विक साधना के लिए प्रेरित करते हैं। सात्विक साधना हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। सात्विक साधना से बुद्धि सन्मार्ग की ओर प्रेरित होती है और मन में शांति एवं एकाग्रता बढ़ती है। एकाग्रता एक ऐसी शक्ति है जो व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र की सफलता को सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि सात्विक साधना करने से साधक संस्कृतिनिष्ठ और प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने लगता है। माता अनुसूया,सती सावित्री,ऊर्मिला,सुलोचना आदि का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन साध्वियों ने अपनी साधना से विषम परिस्थितियों को सुगम बना दिया था और समाज को एक नई दिशा दी। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों द्वारा प्रस्तुत गीत ‘राम और श्रीराम एक हैं, दुनिया जान न पाई...ने साधकों के मन को उल्लसित किया। श्रोताओं ने भावविभोर हो गीत एवं संदेश का श्रवण किया। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा यूएसए, कनाडा, यूके, दुबई, आस्ट्रिया आदि देशों से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस