हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर एवं श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि मां श्री दक्षिण काली अपने भक्तों का जीवन भवसागर से पार लगाती है। जो श्रद्धालु श्रद्धाभाव से मां दक्षिण काली की आराधना करते हैं। मां की कृपा से उनके सभी कष्ट व संताप दूर हो जाते हैं। नवरात्रों में मंदिर में चले रहे विशेष अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि मां की महिमा अपरंपार है। नवरात्र में माता भगवती भक्तों पर अपार कृपा बरसाती हैं। नवरात्रों में नौ दिनों तक पूर्ण विधि विधान से देवी भगवती की पूजा आराधना और ध्यान करें। देवी भगवती के सभी नौ स्वरूप परम् कल्याणकारी हैं। देवी के सभी नौ स्वरूपों का पूजन करने से श्रद्धालु भक्त का कल्याण होता है। मां जगदम्बा की कृपा से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं और वैभव व सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सुख मां के चरणो में हैं। नवरात्रों में देवी भगवती की आराधना करने के साथ आपको जन्म देने वाली अपनी मां का सम्मान भी करें और प्रतिदिन माता पिता से आशीर्वाद प्राप्त करें। इस दौरान स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवनदत्त मिश्र, प्रमोद पांडे, लाला बाबा, मुख्य पुजारी स्वामी विवेकानंद, सुधीर पांडे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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