हरिद्वार। आर्य विरक्त वानप्रस्थ सन्यास आश्रम के 95वें वार्षिकोत्सव के अन्तर्गत आज उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् के सचिव डा.वाजश्रवा आर्य की अध्यक्षता में वैदिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया,जिसमें देर रात्रि श्रोतागण प्रतिभागी कवियों द्वारा प्रस्तुत काव्य रचनाओं पर तालियाँ बजा कर झूमते रहे। कवि एवं साहित्यकार डा.सुशील कुमार त्यागी‘ अमित‘ के कुशल संयोजन व संचालन में हुये इस कवि सम्मेलन का शुभारम्भ गायत्री मंत्र पाठ से हुआ। सम्मेलन का आगाज करते हुए डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने अपनी रचना ‘कौन व्याप्त है इसी व्योम में, भूमि जिसका वास है‘ पढ़ी। जब चेतना पथ के संपादक, कवि व गीतकार अरुण कुमार पाठक ने जब प्रेरक गीत ‘रे पथिक तू चल, तेरी दूर नहीं मंजिल, तेरे पाँव हर पल, तेरी दूर नहीं मंजिल और पारिजात साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने ‘शब्द छंद रस गंध तुम्हारे, अंतरमन से भुला दिये हैं‘ जैसे गीत प्रस्तुत करके उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। डा. अरविन्द नारायण मिश्र ने ‘मैं गंगा हूँ, माँ गंगा हूँ‘ सुना कर पतितपावनी माँ गंगा का गुणगान किया और साथ ही संस्कृत कविता पाठ भी किया। डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित‘ ने ‘महात्मा नारायण स्वामी है आर्य जगत के प्राण‘ सुनाकर आर्य वानप्रस्थ आश्रम के संस्थापक को अपनी काव्यांजलि भेंट की। कार्यक्रम में ओम प्रकाश (उपप्रधान),सविता शर्मा (मंत्री),श्रीमती शोभा छाबड़ा (उपमंत्री),डा.सुरेंद्र कुमार शर्मा, विजय कुमार त्यागी के साथ साथ ही बड़ी संख्या में साधक-साधिकाएँ, वैदिक विद्वान, आर्य समाज के महोपदेशक, भजनोपदेशक, आर्य संन्यासी और वानप्रस्थी भी मौजूद रहे।
हरिद्वार। आर्य विरक्त वानप्रस्थ सन्यास आश्रम के 95वें वार्षिकोत्सव के अन्तर्गत आज उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् के सचिव डा.वाजश्रवा आर्य की अध्यक्षता में वैदिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया,जिसमें देर रात्रि श्रोतागण प्रतिभागी कवियों द्वारा प्रस्तुत काव्य रचनाओं पर तालियाँ बजा कर झूमते रहे। कवि एवं साहित्यकार डा.सुशील कुमार त्यागी‘ अमित‘ के कुशल संयोजन व संचालन में हुये इस कवि सम्मेलन का शुभारम्भ गायत्री मंत्र पाठ से हुआ। सम्मेलन का आगाज करते हुए डा. सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने अपनी रचना ‘कौन व्याप्त है इसी व्योम में, भूमि जिसका वास है‘ पढ़ी। जब चेतना पथ के संपादक, कवि व गीतकार अरुण कुमार पाठक ने जब प्रेरक गीत ‘रे पथिक तू चल, तेरी दूर नहीं मंजिल, तेरे पाँव हर पल, तेरी दूर नहीं मंजिल और पारिजात साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष सुभाष मलिक ने ‘शब्द छंद रस गंध तुम्हारे, अंतरमन से भुला दिये हैं‘ जैसे गीत प्रस्तुत करके उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। डा. अरविन्द नारायण मिश्र ने ‘मैं गंगा हूँ, माँ गंगा हूँ‘ सुना कर पतितपावनी माँ गंगा का गुणगान किया और साथ ही संस्कृत कविता पाठ भी किया। डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित‘ ने ‘महात्मा नारायण स्वामी है आर्य जगत के प्राण‘ सुनाकर आर्य वानप्रस्थ आश्रम के संस्थापक को अपनी काव्यांजलि भेंट की। कार्यक्रम में ओम प्रकाश (उपप्रधान),सविता शर्मा (मंत्री),श्रीमती शोभा छाबड़ा (उपमंत्री),डा.सुरेंद्र कुमार शर्मा, विजय कुमार त्यागी के साथ साथ ही बड़ी संख्या में साधक-साधिकाएँ, वैदिक विद्वान, आर्य समाज के महोपदेशक, भजनोपदेशक, आर्य संन्यासी और वानप्रस्थी भी मौजूद रहे।
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