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गंगा स्नान से पापों और कष्टों से मिलती है मुक्ति-श्रीमहंत रविंद्रपुरी


 हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने गंगा जयंती पर भक्त श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है। गंगा स्नान करने से समस्त सांसारिक पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गंगा जयंती को गंगा सप्तमी के तौर पर भी जाना जाता है। गंगा जयंती पुण्यदायिनी गंगा माता की उत्पत्ति का पवन दिवस है। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी के दिन मां गंगा का उद्भव हुआ था। इस दिन गंगा स्नान से मनुष्य सभी सांसारिक पापों और कष्टों से मुक्त हो जाता है। गंगा जयंती के दिन दान का भी विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन इस दिन गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। शास्त्रों में गंगा को अमृत के सामान माना गया है। उन्होंने बताया कि मनुष्य के अंतिम संस्कार भी गंगा के किनारे ही संपन्न होता है। गंगा के किनारे अंतिम संस्कार करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा की उत्पत्ति के विषय में मान्यता ऐसी भी है कि इनका जन्म भगवान ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था। शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा स्वर्ग लोक से शिव की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन श्गंगा दशहराश् (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। गंगा जयंती के दिन गंगा पूजन और स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही समस्त सांसारिक पापों से मुक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार गंगा माता के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए। गंगा के स्पर्श से ही सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार संभव हो सका था। इस कारण से ही गंगा का दूसरा नाम भागीरथी पड़ा।


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गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

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ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

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धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।