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संत समाज ने दी भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक ब्रह्मलीन आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज एवं स्वामी अभयानंद महाराज को श्रद्धांजलि

 त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे स्वामी प्रणवानंद महाराज -स्वामी प्रबोधानंद गिरी


हरिद्वार। देवपुरा स्थित भारत सेवाश्रम संघ के स्थापना दिवस पर आश्रम में आयोजित संत सम्मेलन में सभी तेरह अखाड़ों के संतों महंतों ने भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक ब्रह्मलीन आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज एवं स्वामी अभयानंद महाराज को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश एवं महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक ब्रह्मलीन आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज कल्याण की जो धारा बह रही है। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। बाबा हठयोगी एवं महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज एवं स्वामी अभयानंद महाराज महान संत थे। आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज द्वारा स्थापित भारत सेवाश्रम संघ सेवा, धर्म व अध्यात्म का प्रमुख केंद्र है। आमजन को धर्म व अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में भारत सेवाश्रम संघ के संत प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी वेदानन्द महाराज एवं स्वामी विश्वात्मानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन ब्रह्मलीन स्वामी प्रणवानंद महाराज एवं स्वामी अभयानंद महाराज ने का पूरा जीवन हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्र उत्थान को समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि आचार्य स्वामी प्रणवानंद महाराज का मानना था कि त्याग ही जीवन का मूलमंत्र है। संयम ही कठोर तपस्या है। त्याग, संयम, सत्य और ब्रह्मचर्य साधना ही जीवन के मूल स्तंभ है। कार्यक्रम का संचालन स्वामी रविदेव शास्त्री ने किया। श्रद्धांजलि देने वालों में महंत गुरमीत सिंह,महंत सूरजदास,महंत रघुवीर दास, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद,महंत विनोद महाराज,महंत श्याम प्रकाश, महंत गोविंददास, स्वामी ऋषिश्वरानन्द,स्वामी भगवतस्वरूप सहित बड़ी संख्या संत संतजन व श्रद्धालु शामिल रहे। 


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