हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में एवं महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज के सानिध्य में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कथा का श्रवण कराते हुए बताया श्री कृष्ण की कृपा जिसके ऊपर हो जाती है। उसका जीवन संवर जाता है। शास्त्री ने बताया कि महाभारत युद्ध के दौरान महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच के बेहद बलाशाली पुत्र बर्बरीक युद्ध में भाग लेने के लिए जा रहे थे। श्री कृष्ण जानते थे कि जिसके पक्ष में बर्बरीक खड़ा हो जाएगा उसकी विजय सुनिश्चित है। श्री कृष्ण ब्राह्मण का वेश बनाकर बर्बरीक के पास गए और पूछा कि आप कहां जा रहे हो। बर्बरीक ने कहा कि मैं महाभारत युद्ध में हारे का सहारा बनूंगा। जो हार रहा होगा उसके पक्ष में खड़ा होकर युद्ध करूंगा और उसे विजय दिलाऊंगा। मेरा एक ही बाण सामने वाली की संपूर्ण सेना को नष्ट कर देगा। तब श्री कृष्ण ने कहा कि मुझे अपने बाण की शक्ति दिखाओ। इस विशाल वटवृक्ष पर जितने भी पत्ते हैं। एक ही बाण से इनका भेदन करके दिखाओ। कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा दिया। बर्बरीक ने बाण का संधान किया। वृक्ष पर जितने भी पत्ते थे सब के सब बाण से बिंध गए। कृष्ण ने जब अपना पैर हटा कर देखा तो पैर के नीचे जो पता था वह भी बाण से बिंधा हुआ था। कृष्ण को बड़ा आश्चर्य हुआ। कृष्ण ने विचार किया कि कौरव हार रहे हैं अगर बर्बरीक कौरवों के पक्ष में खड़ा हो गया तो अधर्म की विजय हो जाएगी। इसलिए ब्राह्मण वेश धारी कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि बर्बरीक मैं तुमसे कुछ भिक्षा मांगना चाहता हूं क्या तुम मुझे भिक्षा दोगे। बर्बरीक ने कहा कि जो आप मांगोगे मैं वह आपको दूंगा मैं वचन देता हूं। तब ब्राह्मण वेशधारी कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि मुझे अपना सर भिक्षा में दे दो। बर्बरीक ने तुरंत ही अपने धड़ से सिर को अलग कर दिया। कृष्ण अपने स्वरूप में प्रकट हो गए और कृष्ण ने बर्बरीक को अपना ही स्वरूप प्रदान कर दिया और आशीर्वाद दिया कि आज से हारे के सहारे के रूप में तुम पूजे जाओगे। लोग तुम्हें खाटू नरेश, खाटू श्याम, श्याम बाबा के रूप में जानेंगे और तब से बर्बरीक को खाटू श्याम एवं हारे के सहारे के रूप में पूजा जाता है। शास्त्री ने बताया कि जो संत, ब्राह्मण, भक्तों एवं भगवान के प्रति हमेशा समर्पण भाव रखता है। वही समाज में पूज्य होता है। इस अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक,समाजसेवी कार्तिक कुमार चेयरमैन,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज, करन कोहली,सुरुचि कोहली,सोमेश विग,सनी कोहली,मीना कोहली,अथर्व कोहली,सुनीता पाहवा ,गोविंद पाहवा,मीना कोहली,किरण विग,रजनी नौनिहाल,अशोक नौनिहाल,हर्ष आनंद,प्रदीप वडेरा, अन्नू वडेरा,विपिन वडेरा,पूनम वडेरा,लक्ष्य वडेरा,रियांश वडेरा,पंडित गणेश कोठारी,पंडित मोहन जोशी,पंडित विष्णु गौड़,पंडित उमेश जोशी आदि ने भागवत पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद लिया।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में एवं महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज के सानिध्य में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कथा का श्रवण कराते हुए बताया श्री कृष्ण की कृपा जिसके ऊपर हो जाती है। उसका जीवन संवर जाता है। शास्त्री ने बताया कि महाभारत युद्ध के दौरान महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच के बेहद बलाशाली पुत्र बर्बरीक युद्ध में भाग लेने के लिए जा रहे थे। श्री कृष्ण जानते थे कि जिसके पक्ष में बर्बरीक खड़ा हो जाएगा उसकी विजय सुनिश्चित है। श्री कृष्ण ब्राह्मण का वेश बनाकर बर्बरीक के पास गए और पूछा कि आप कहां जा रहे हो। बर्बरीक ने कहा कि मैं महाभारत युद्ध में हारे का सहारा बनूंगा। जो हार रहा होगा उसके पक्ष में खड़ा होकर युद्ध करूंगा और उसे विजय दिलाऊंगा। मेरा एक ही बाण सामने वाली की संपूर्ण सेना को नष्ट कर देगा। तब श्री कृष्ण ने कहा कि मुझे अपने बाण की शक्ति दिखाओ। इस विशाल वटवृक्ष पर जितने भी पत्ते हैं। एक ही बाण से इनका भेदन करके दिखाओ। कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा दिया। बर्बरीक ने बाण का संधान किया। वृक्ष पर जितने भी पत्ते थे सब के सब बाण से बिंध गए। कृष्ण ने जब अपना पैर हटा कर देखा तो पैर के नीचे जो पता था वह भी बाण से बिंधा हुआ था। कृष्ण को बड़ा आश्चर्य हुआ। कृष्ण ने विचार किया कि कौरव हार रहे हैं अगर बर्बरीक कौरवों के पक्ष में खड़ा हो गया तो अधर्म की विजय हो जाएगी। इसलिए ब्राह्मण वेश धारी कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि बर्बरीक मैं तुमसे कुछ भिक्षा मांगना चाहता हूं क्या तुम मुझे भिक्षा दोगे। बर्बरीक ने कहा कि जो आप मांगोगे मैं वह आपको दूंगा मैं वचन देता हूं। तब ब्राह्मण वेशधारी कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि मुझे अपना सर भिक्षा में दे दो। बर्बरीक ने तुरंत ही अपने धड़ से सिर को अलग कर दिया। कृष्ण अपने स्वरूप में प्रकट हो गए और कृष्ण ने बर्बरीक को अपना ही स्वरूप प्रदान कर दिया और आशीर्वाद दिया कि आज से हारे के सहारे के रूप में तुम पूजे जाओगे। लोग तुम्हें खाटू नरेश, खाटू श्याम, श्याम बाबा के रूप में जानेंगे और तब से बर्बरीक को खाटू श्याम एवं हारे के सहारे के रूप में पूजा जाता है। शास्त्री ने बताया कि जो संत, ब्राह्मण, भक्तों एवं भगवान के प्रति हमेशा समर्पण भाव रखता है। वही समाज में पूज्य होता है। इस अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक,समाजसेवी कार्तिक कुमार चेयरमैन,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज, करन कोहली,सुरुचि कोहली,सोमेश विग,सनी कोहली,मीना कोहली,अथर्व कोहली,सुनीता पाहवा ,गोविंद पाहवा,मीना कोहली,किरण विग,रजनी नौनिहाल,अशोक नौनिहाल,हर्ष आनंद,प्रदीप वडेरा, अन्नू वडेरा,विपिन वडेरा,पूनम वडेरा,लक्ष्य वडेरा,रियांश वडेरा,पंडित गणेश कोठारी,पंडित मोहन जोशी,पंडित विष्णु गौड़,पंडित उमेश जोशी आदि ने भागवत पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद लिया।
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