हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत कथा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मुख से एवं मां गंगा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के चरणों से हुई है। शास्त्री जी बताया कि भगवान विष्णु के नाभि कमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को चतुश्लोकी भागवत का ज्ञान दिया। ब्रह्मा ने चतुश्लोकी भागवत का ज्ञान नारद को, नारद ने वेदव्यास को दिया। वेदव्यास ने चतुश्लोकी भागवत से श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की। जिसमें बारह स्कंध, तीन सौ पैंतीस अध्याय, अठारह हजार श्लोक हैं, और अपने पुत्र सुखदेव मुनि को श्रीमद्भागवत महापुराण का ज्ञान दिया। सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित की सभा में इस ज्ञान को सभी में बांटा और आज सभी लोग श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर कर अपना एवं अपने पितरों का कल्याण करते हैं। शास्त्री ने बताया कि राजा बलि स्वर्ग प्राप्ति के लिए जब सौ यज्ञ का संकल्प लेकर यज्ञ प्रारंभ करते हैं, तो भगवान विष्णु वामन बनकर राजा बलि से तीन चरण पृथ्वी की याचना करते हैं। राजा बलि ने जब तीन चरण पृथ्वी दान करने का संकल्प किया तब वामन भगवान ने प्रथम चरण बढ़ाना प्रारंभ किया तो ऊपर के सातों लोको को पार करते हुए ब्रह्मांड का भेदन कर दिया। जिससे एक जल की धार भगवान के चरणों से निकली उस जल धार को ब्रह्मा ने अपने कमंडल में धारण कर लिया। राजा सगर के साठ हजार पुत्र कपिल देव के क्रोध से जलकर भस्म हो गए थे। उन सब के उद्धार के लिए राजा सगर के वंश में अनेकों अनेकों राजाओं ने मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तप किया। भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर मां गंगा ब्रह्मा के कमंडल से भगवान शिव की जटाओं से होती हुई भागीरथी नाम से पृथ्वी पर आई और राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार किया। शास्त्री ने बताया कि विष्णु मुखी भगवती गंगा एवं विष्णु पदी भागीरथी गंगा दोनों की दोनों जीव का कल्याण करने के लिए ही इस पृथ्वी पर आई हैं। जो भागवत कथा का श्रवण करता है एवं मां गंगा में स्नान करता है। उसका कल्याण अवश्य होता है। इस अवसर पर मुख्य जजमान करन कोहली,सुरुचि कोहली,सोमेश विग,सनी कोहली, मीना कोहली,अथर्व कोहली,सुनीता पाहवा,गोविंद पाहवा,मीना कोहली,किरण विग,रजनी नौनिहाल,अशोक नौनिहाल,हर्ष आनंद,प्रदीप वडेरा,अन्नू वडेरा,विपिन वडेरा,पूनम वडेरा,लक्ष्य वडेरा,रियांश वडेरा,पंडित गणेश कोठारी, पंडित मोहन जोशी,पंडित विष्णु गौड़,पंडित उमेश जोशी आदि ने भागवत पूजन किया।
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