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नीरारूण फाउंडेशन ने जरूरतमंद बच्चों को वितरित की ड्रैस, कापी, किताबें व लेखन सामग्री


 हरिद्वार। साफ-सुथरे स्कूली यूनिफार्म में स्कूल जाते बच्चों को कई निगाहें हसरत भरी नजर से देखती हैं। काश हम भी स्कूल जाते। यह दर्द उन बच्चों  का है, जिनके पास न किताब होती है, न कॉपी। समय-समय पर शहर की कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसे बच्चों के बीच कॉपी-किताब का वितरण करती रहती हैं। मंगलवार को सामाजिक संस्था नीरारुण फाउंडेशन (कौशिक आर्टस एंड क्रिएशन) ने जरूरतमंद बच्चों को सभी विषयों की किताबें,कॉपियां, डायरी, स्टेशनरी, और स्कूल यूनिफार्म निःशुल्क प्रदान की। इस अवसर पर संस्था द्वारा वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमे अतिथियों के रूप में पार्षद शुभम मंडोला, अक्षय गोयल, नितिश वालिया, मलकीत सिंह, अनमोल गर्ग, आशुतोष कौशिक, राहुल आनंद, अंकुर सहदेव, जतिन खुराना सहित कई अतिथी शामिल हुए। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने अपने अपने विचार रखे और संस्था की सरहाना करते हुए कहा की नीरारुण फाउंडेशन शिक्षा से वंचित सैकड़ों बच्चों की जिन्दगी बदल रही है। जिसमें कनखल के 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और अपने भविष्य की तकदीर गढ़ रहे हैं। इस अवसर पर नीरारुण फाउंडेशन के डारेक्टर डा.ए.के. कौशिक ने कहा की शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नीरारुण फाउंडेशन दो वर्षों से कार्य कर रहा है और बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया की फिलहाल 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। ये बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। संस्था के संचालन से इलाके के बच्चों में पढ़ाई को लेकर रुझान बढ़ा रहा है। इस अवसर पर नीरारुण फाउंडेशन के अध्यक्ष कृष्णा कौशिक ने कहा कि हर्ष का विषय है कि नीरारुण फाउंडेशन ने 2 वर्ष पूरे कर लिए हैं और तीसरा सत्र प्रारंभ कर दिया है। जिसमें 70 वंचित बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि संस्था ने सभी बच्चों को सभी विषयों की किताबें, कॉपियां,स्टेशनरी,स्कूल यूनिफॉर्म,डायरी और स्कूल यूनिफार्म निःशुल्क प्रदान करते हुए नया सत्र का प्रारंभ होने के उपलक्ष में सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर नीरा कौशिक,दिव्या कौशिक,शिवांग मल्होत्रा,रविंदर सिंह,सताक्षी कौशिक,चौतन्य कौशिक,फिरोज अख्तर,संस्था शिक्षिकाएं आरती, खुशी दुआ,सौम्या जैन,रिचा,रीना व अन्य सहकर्मी रुचि,पूजा,नेहा,आयुषी,रुतम आदि मौजूद रहे। 


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