महान समाज सुधारक थे गुरु अमरदास जी-महंत रंजय सिंह
हरिद्वार। सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास जी का 544वां प्रकाश पर्व तीजी पातशाही तपस्थान, सतीघाट ,कनखल में सौल्लासपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर श्रीगुरु ग्रंथ साहिब जी का अखंड पाठ का भोग लगाया गया अरदास की गई तथा अटूट लंगर का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर शब्द कीर्तन आयोजित किया गया। समस्त देशवासियों को गुरु अमरदास जी के प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं देते हुए तीजी पातशाही तपस्थान के महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि गुरु अमरदास जी एक महान समाज सुधारक और तपस्वी थे। उन्होंने पर्दा प्रथा के साथ-साथ सती प्रथा का भी विरोध किया और इन कुरीतियों को समाप्त कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। कनखल के सतीघाट में उन्होंने सती प्रथा को समाप्त करवाया और समाज में जात-पात और ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने के लिए लंगर प्रथा का व्यापक प्रचार प्रसार किया। तप स्थान की संचालिका श्रीमती बिन्निंदर कौर सोढ़ी ने कहा कि गुरु अमरदास जी सती घाट कनखल में 21बार गृहस्थ के रूप में तथा एक बार गुरु गद्दी प्राप्त होने के बाद गुरु के रूप में आए थे। उन्हें 73 साल की उम्र में 1552 में गुरु गद्दी प्राप्त हुई और वे 1574 तक 22 साल तक गुरु गद्दी पर विराजमान रहे। गुरु अमरदास का 95 साल की उम्र में पंजाब के गोइंदवाल में 1574 में निधन हुआ। इस अवसर पर ग्रंथी देवेंदर सिंह ने अरदास की और अखंड पाठ का भोग चढ़ाया। महंत रंजय सिंह,श्रीमती बिन्निंदर कौर सोढ़ी,इंद्रजीत सिंह,ग्रंथी देवेंदर सिंह,सरदार गजेंद्र सिंह ओबरॉय,सरदार मनजीत सिंह ओबरॉय, हरविंदर सिंह रिंकू, अवतार सिंह,परमिंदर सिंह गिल,मनमीत सिंह शेरे पंजाब वाले,कुलदीप सिंह,जगजीत सिंह शिव डेरी श्रीमती सरनजीत कौर,श्रीमती सरबजीत कौर, श्रीमती रविंदर कौर और साध संगत ने भाग लिया।
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