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व्यक्ति की पहचान धर्म से, धार्मिक होने पर गर्व की भावना: स्वामी रामभजन वन

 हरिद्वार। पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही सनातन धर्म को छोड़ चुके हजारों लोगों को दोबारा सनातन धर्म से जोड़ने वाले श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि सनातन धर्म दुनिया सर्वश्रेष्ठ प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ धर्म बताते हुए लोगों को सनातन धर्म में आस्था और विश्वास कायम रखते हुए संरक्षण और संवर्धन की अपील की है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दुनियां का सबसे पुराना और महानतम धर्म है। उन्होंने कहा सनातन धर्म की रक्षा के लिए समय-समय पर राम और कृष्ण जैसे महापुरुषों का अवतरण हुआ। आज पूरे विश्व में सनातन धर्म का डंका बज रहा है। ऐसे में सनातन धर्म को छोड़ चुके लोग दोबारा सनातन धर्म में लौटने का प्रयास कर रहे हैं। इसी से पता चलता है कि भटके हुए लोगों को सही मार्गदर्शन सनातन धर्म में ही मिलता है। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि दुनिया को गीता का ज्ञान देने वाले सनातन धर्म में ही सभी वर्गों का हित सुरक्षित है। शिव उपासना चौरिटेबल ट्रस्ट हरिद्वार और शिवोपासना संस्थान, डरबन साउथ के संस्थापक स्वामी रामभजन वन महाराज ने बुद्ध पूर्णिमा पर दिये संदेश में कहा कि धर्म मनुष्य को जोड़ने का कार्य करता है। धर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं है और धर्म ही हमारी पहचान है। मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। धर्म की रक्षा के लिए जान जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटना चाहिए। धर्म के लिए प्राणों की आहुति देने वाले लोग अमर हो जाते हैं। इतिहास भी ऐसे ही लोगों को हमेशा याद रखता है। परन्तु जो व्यक्ति धर्म का त्याग करता है,उसे जीवितभर अपदंश झेलना पड़ता है। पुरानी कहावत है कि धर्म की रक्षा करने से ही व्यक्ति की रक्षा होती है। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि धर्म से विमुख होने पर व्यक्ति की पहचान नहीं रहती। ऐसे व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। आने वाली पीढ़ी भी उसे माफ नहीं करती। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म का पालन करते हुए लगन से जीवन व्यतीत करना चाहिए। इतना ही नहीं धर्म का ज्ञान हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी देना चाहिए। स्वामी राम भजन वन ने कहा कि सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। हमें अपने महापुरुषों के दिखाए मार्ग पर चलकर अपना जीवन सुखमय बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत गीता और रामचरितमानस जैसे महान ग्रंथों का नियमित अध्ययन और पालन करने से जीवन की कठिनाइयों को आसानी से दूर किया जा सकता है।


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