Skip to main content

नदी तट को साफ रखने, जलमात्रा बढ़ाने प्रवाह को संरक्षित रखने का प्रयास

’’यमुना नदी का कायाकल्प और पानी की बहाली’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन


आगरा। राधा-स्वामी सत्संग सभा, दयालबाग, आगरा ने यमुना नदी के तटीय हिस्से को साफ करने,यमुना में पानी की मात्रा बढ़ाने और पानी के प्रवाह को पुनः संरक्षित करने हेतु विशेष अभियान चलाया। दयालबाग के निवासियों ने सामुदायिक सदस्यों के सहयोग से यह अभियान प्रतिबद्धता और उत्साह के साथ पिछले कई दिनों से चला रखा था,दयालबाग न सिर्फ अपने पर्यावरण सहयोगी जीवन शैली के लिए जाना जाता है बल्कि पड़ोसी आवासीय सामुदायिक हिस्से के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयासरत रहता है। आज जलवायु परिवर्तन के खतरे के बीच, तेजी से बढ़तते तापमान के चलते यह जरूरी हो गया है कि अपने अस्तित्व के लिए समुदाय की भागीदारी हो और इसे स्थानीय और केंद्रीय प्रशासन से समर्थन, सुविधा और प्रोत्साहन मिले। दयालबाग समूह के इस प्रयास को गति देने के लिए‘आगरा मे यमुना नदी का कायाकल्प और पानी की बहाली’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित किया गया जिसमें जल संरक्षण एवं पर्यावरण चिंतन से जुड़े 21 विशेषज्ञ आम्न्तृत किए गए। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय,आई आई टी दिल्ली, आई आई टी कानपुर,भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, आदि प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने इस कार्यशाला को संबोधित किया और दयालबाग तथा दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के इस प्रयास की सराहना की। इस परिचर्चा में शामिल विशेषज्ञों और समूह के सदस्यों द्वारा दिलचस्प और उत्साहजनक विचार विमर्श किया गया साथ ही महत्त्वपूर्ण सुझाव भी दिये गए। कार्यशाला मे कुल 17105 लोगों द्वारा प्रत्यक्ष एवं आभासी माध्यम से भागीदारी की गई।    संस्थान के निदेशक प्रो पी के कालरा द्वारा स्वागत वक्तव्य से कार्यशाला की शुरुआत हुई और आधार वक्तव्य संस्थान के कुलसचिव प्रो आनंद मोहन द्वारा दिया गया। प्रो. आनंद मोहन द्वारा जोर देकर यह कहा गया कि यमुना नदी और इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में गहराई से भूवैज्ञानिक और भू-आकृति विज्ञान आधारित अनुसंधान पूरी तरह से किया जाना चाहिए ताकि वैज्ञानिक आधार पर सुरक्षित और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी समाधान खोजा जा सके। जलपुरुष एवं मैगसेसे अवार्ड से समानित राजेंद्र सिंह कार्यशाला को संबोधित करने वाले पहले वक्ता थे। उन्होने जल संरशन से संबंधित अपने संघर्ष और अनुभवों को व्यक्त किया। उन्होने बताया कि 12 मार्च 1992 को 5 राज्यों में एक सम्झौता हुआ कि कम से कम 10 प्रतिशत जल प्रवाह अवश्य रखा जाएगा लेकिन यह अफसोसजनक है कि यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना हथिनीकुंड बैराज तक आते आते गंदी नदी में बादल जाती है। उन्होने यह विशेष तौर पर चिन्हित किया कि भारतीय संस्कृति में नदियां हमेशा एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखती आई हैं। नीर,नदी,नारी और नारायण हमेशा से समानीय थे और लोग उनकी पवित्रता के प्रति सचेत रहते थे। उन्होने जोर देकर यह कहा कि वर्तमान में यह देखने में आ रहा है जमीन और रियल स्टेट से जुड़े माफिया द्वारा रिवर व्यू और फ्रंट व्यू का गढ़ा गया शिगूफा सज्जन लोगों को ठगने का मंत्र बीएन गया है और नदियों के किनारे को कंक्रीट के जंगल में बदल रहा है। यह खतरनाक है और जागरूक जनता और विभिन्न राज्यों के प्रशासन द्वारा इस समस्या को संबोधित किया जाना चाहिए। कार्यशाला का उदघाटन वक्तव्य श्रद्धेय प्रो प्रेम सरन सतसंगी जी द्वारा दिया गया जिनकी प्रेरणाएँ हर तरह के राधास्वामी सत्संग सभा के सामुदायिक सदस्यों के सामाजिक उन्नयन और गतिविधियों के पीछे रहती हैं।  प्रो सतसंगी दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की शिक्षा सलाहकार समिति के अध्यक्ष भी हैं।  उन्होने कृपा पूर्वक यह कहा कि दयालबाग का जल संरक्षण की यह पहलकदमी सिर्फ जरूरत मंदों के लिए ही नहीं बल्कि मानव मात्र से अलग अन्य जीवों और बनस्पतियों के लिए भी जरूरी है। समूह द्वारा यह गतिविधि 13 अप्रैल 2023 को शुरू की गई। ऐतिहासिक रूप से बुईल्डर लॉबी के भ्रष्ट चलन  और ब्लैक मार्केटिंग तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा इसकी अनदेखी के चलते यमुना का रिवर बैंक पूरी तरह प्रदोषित हो गया है और जल प्रवाह बाधित। आश्चर्यजनक रूप से यमुना नदी के साफ करने के प्रयासों को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी लेकिन जिला प्रशासन और उनके प्रतिनिधियों को यह बताया गया है कि सिर्फ 3 हफ्ते के प्रयास से नदी का किनारा साफ हुआ है और जलप्रवाह पहले से बेहतर। इस प्रयास को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के कमेटी द्वारा भी सराह गया है। प्रो सतसंगी ने यह भी कहा कि पृथ्वी के रिसाव का प्रतिरोध मृदा संरक्षण और विद्युत स्वस्थ्य के लिए फलदायी हो सकता है। दूसरे वक्ता प्रो प्रेम व्रत,प्रो वाइसचान्सलर,नॉर्थ कैप यूनिवर्सिटी गुरुग्राम ने अपने वक्तव्य मे उक्त चौनताओं के प्रति समर्थन व्यक्त किया और यमुना नदी में प्रदूषण के कारण दिल्ली में लोगों के जीवन की बिगड़ती गुणवत्ता पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नदी के संबंध में धार्मिक प्रथाओं के बारे में रूढ़िवादिता को कम किया जाना चाहिए और लोगों को नदियों को प्रदूषित करके पापों की सफाई की विकृत मूल्य प्रणाली के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। प्रो एके गोसाईं ने आईआईटी दिल्ली द्वारा इस दिशा में किए ज्ञे प्रयासों के बारे में बताया और सिस्टम अप्रोच के महत्त्व को समझाया। बी एस आहूजा,जल विभाग, दयालबाग ने पानी के प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नदी में बहने वाले पानी की मात्रा उसके जलग्रहण क्षेत्र, नदी में पानी छोड़ने वाली सहायक नदियोंध्धाराओं की संख्या,जलभृतों से बेसफ्लो,एसटीपीध्सीईटीपी से नदी में छोड़े जाने वाले उपचारित पानी की मात्रा से प्रभावित होती है। आईआईटी-बीएचयू के प्रो.उमाकांत शुक्ला ने बताया कि गंगा के फोरलैंड बेसिन हिमालय में थ्रस्ट शीट लोडिंग के जवाब में गठित भू- आकृतिक अभिव्यक्ति है। बेसिन में,यमुना नदी सबसे कम ऊंचाई पर स्थित है और एक सहायक नदी के रूप में गंगा नदी से मिलने से पहले अक्षीय नदी के रूप में कार्य करती है। यह कटा हुआ है और हिमालय और कैटेटोनिक तलछट दोनों को वहन करता है। आगरा के पास इसकी घाटी संकरी है और चौनल विकृत विसर्प दिखाता है,हालांकि चैनल के भीतर यह लट में चरित्र है। जियोमॉर्फिक सिग्नेचर से पता चलता है कि सैंड बार के विकास के कारण चौनल समय के साथ माइग्रेट हो गया है। मानसून के मौसम में इन बारों को संशोधित और पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। आवास के लिए रेत की सलाखों का उपयोग किया गया है जो नदी प्रणाली के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।डॉ. एसके सत्संगी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सारण आश्रम अस्पताल,दयालबाग ने कहा कि दयालबाग में लोग नालियों को वाटरबेड बनाकर और नदी को सुचारू रूप से बहने देने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यमुना के पानी को प्लास्टिक, बिना जले,अर्ध-जले हुए शरीर आदि जैसे प्रदूषकों से बचाने के लिए यमुना के तट के शेष भाग पर ड्रेजिंग,सघन वृक्षारोपण की सिफारिश की। प्रो.एसएस भोजवानी, सलाहकार, दयालबाग कृषि-पारिस्थितिकी और प्रिसीसन फार्मिंग ने उल्लेख किया कि नदी के किनारे  नदी के मूल सौंदर्य को जगाने और उनकी मूल सुंदरता को बहाल करने और उन्हें स्वार्थी पुरुषों द्वारा और अधिक गिरावट से बचाने की तत्काल आवश्यकता है,व्यक्तिगत लाभ के लिए नदी के तल से सामग्री का शोषण अनुपचारित सीवेज,गंडा नाला और औद्योगिक जल के सीधे नदी में गिरने पर सख्त रोक लगाना। कई महान सभ्यताएँ नदी के किनारों से विकसित हुईं क्योंकि यह पर्याप्त ताजा पानी, परिवहन के आसान साधन, खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी और मनोरंजन के लिए जगह प्रदान करती थी। जेएनयू, दिल्ली के प्रोफेसर कर्मेशु ने टिप्पणी की कि एक नदी एक स्व-संगठित प्रणाली है जिसमें जैविक और अजैविक दोनों परस्पर क्रिया शामिल है। आईआईटी बीएचयू के प्रो. अरविंद एम. कायस्थ ने कहा कि यमुना साल में करीब नौ महीने स्थिर रहती है. प्रवाह न होने से नदी के बहाव में कमी आती है। यमुना बेसिन में पानी की कुल कमी को देखते हुए, अतिरिक्त ताजे पानी के उपलब्ध होने की संभावना निकट भविष्य में दूर की कौड़ी प्रतीत होती है। इसलिए, नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए, कुछ नवीन और समग्र दृष्टिकोणों में बाढ़ के मैदानों में आर्द्रभूमि,अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण (और इस तरह ताजे पानी की मांग को कम करना),वर्षा संचयन, नदी के जलाशयों को ऊपर की ओर बनाना, जल उपयोग दक्षता में सुधार करना शामिल हो सकता है। कृषि और जल गहन कृषि प्रथाओं से धीरे-धीरे स्विचिंग को शुरू करने की आवश्यकता है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रो पमी दुआ ने टिप्पणी की कि जलवायु परिवर्तन बाढ़ का एक प्रमुख कारण है,क्योंकि इससे लगातार और तीव्र वर्षा हो सकती है,समुद्र के स्तर में वृद्धि हो सकती है और तूफान बढ़ सकता है। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर पीके कालरा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ रिमोट सेंसिंग तकनीक जल सूचना निष्कर्षण और बुद्धिमान निगरानी को स्वचालित करने के लिए सबसे लोकप्रिय रणनीतियों में से एक बन गई है। हाल ही में यूएवी-रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके नदी बहाली के एआई-आधारित हाइड्रा -मॉर्फोलॉजिकल मूल्यांकन पर भी प्रयास किए गए हैं। उच्च-रिजॉल्यूशन सेंसर के संयोजन में मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) भी स्थानिक और लौकिक पैमानों में नए अवसर खोलते हैं। जल-आकृति विज्ञान एक नदी के आकार,सीमाओं और सामग्री की भौतिक विशेषताओं को संदर्भित करता है।कार्यक्रम का समापन संस्थान की प्रार्थना और राष्ट्रगान के साथ हुआ।


Comments

Popular posts from this blog

गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

  हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है।  महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा

ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

 हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।