हरिद्वार। भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के 59वें स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सभा का आयोजन किया गया। ज्वालापुर में आयोजित स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान भारतीय वाल्मीकी धर्म समाज के पूर्व प्रदेश संयोजक और केंद्रीय प्रचार मंत्री राजेश छाछर ने कहा कि 24 मई 1964 को भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज की स्थापना हुई थी। संगठन का मूल उद्देश्य जय वाल्मीकि, हर हर वाल्मीकि नारे को घर-घर तक पहुंचाना और धर्म समाज की विचारधारा एक निशान, एक विधान और एक पूजा पद्धति को समाज में स्थापित करना था। संगठन को संतोष है कि धर्म समाज की यह विचारधारा घर घर तक पहुंची है। इस अवसर पर भारतीय वाल्मीकी धर्म समाज के प्रदेश सह प्रभारी कमल बाल्मीकि ने कहा कि भगवान वाल्मीकि समाज की आस्था के प्रतीक है और बाबा साहेब का शिक्षा का मार्ग विकास का रास्ता है। इन दोनों मार्गों का अनुसरण करते हुए समाज को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाना है। इस अवसर पर सुरेंद्र कुमार, राजेश घोघलिया,विक्की पीहवाल,पिंटू चारण, अनिल कुमार, प्रदीप चंचल आदि भी विचार रखे। सभा की अध्यक्षता बाबूराम और संचालन नरेश ने किया। सभा का प्रारंभ और समापन मुक्ति माला जाप से किया गया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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