Skip to main content

त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद-म.म.स्वामी ललितानंद गिरी

 


हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज की 12वीं पुण्य तिथी सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में मनायी गयी। जगजीतपुर स्थित गुर्जर भवन में महंत विनोद महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम में ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए भारत माता मंदिर के तहत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका अतुलनीय योगदान रहा। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरू की कीर्ति को आगे बढ़ाते हैं। संत समाज की दिव्य विभूति ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज के शिष्य महंत विनोद महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान कर रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। कार्यक्रम में शामिल हुुए संतों का आभार व्यक्त करते हुए महंत विनोद महाराज ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी परमानंद महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरूदेव के दिखाए मार्ग और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए संत समाज के आशीर्वाद से समाज को अध्यात्म और ज्ञान की प्रेरणा देकर सद्मार्ग पर अग्रसर करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद व महंत श्यामप्रकाश ने कहा कि गुरू की सेवा परंपरां को आगे बढ़ाने के लिए महंत विनोद महाराज बधाई के पात्र हैं। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास,स्वामी विवेकानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास, स्वामी कमलेशानंद,महंत बिहारी शरण,महंत प्रेमदास,स्वामी चिदविलासानंद,महंत गोविंददास,महंत जयेंद्र मुनि,स्वामी कपिल मुनि महाराज, महंत गंगादास उदासीन,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,महंत जसविन्दर सिंह, महंत सूर्यमोहन गिरी सहित बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु मौजूद रहे। 


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस