नयी दिल्ली/हरिद्वार। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मणिपुर में मेतेई समाज और उसके पूजा स्थलों पर कुकी अतिवादियों द्वारा किए गए भीषण हमलों की आज कड़ी निंदा की है। मणिपुर की पहाडियों में तोड़े गए मैतेई समाज के कुछ भव्य मंदिरों की जिलेवार संक्षिप्त सूची जारी करते हुए, विहिप के राष्ट्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने आज कहा कि हम पहले से ही प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं,अब हिंदू समाज को चाहिए इन मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए आगे आए। उन्होंने क्षेत्र में शांति की अपील करते हुए झूठी कहानी फैलाने वालों को चेतावनी दी,जो यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि केवल चर्चों पर हमला किया गया। नष्ट किए गए 11 बड़े मंदिरों की जारी सूची, जिसमें तेंगौपाल और मोरे के 4 मंदिर, तिपाईमुख (चूरचानपुर) के 3 और चिंगोई चिंग (इंफाल पूर्व) के 4 मंदिर शामिल हैं,संपूर्ण नहीं है। इनके अलावा भी बहुत सारे मंदिर हिंसा की भेंट चढ़े हैं। श्री परांडे ने यह भी कहा कि दो समुदायों के बीच हुई दुर्भाग्यपूर्ण झड़पों के दौरान कई राजकीय संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। अब हिंदू समाज को क्षतिग्रस्तध्खंडित मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए आगे आने की जरूरत है। विहिप ने अपील की कि शांति और संयम बरता जाए और देश विरोधी तथा समाज विरोधी तत्वों पर लगाम लगाई जाए। क्षेत्र में शांति भंग करने की कोशिश करने वाले तत्वों और संगठनों को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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