हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्याम नगर स्थित दुर्गा मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तीर्थों का महत्व बताते हुए कहा कि मनुष्य जाने अनजाने जो भी पाप कर्म करता ह। तीर्थों में जाकर के उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। परंतु जो लोग तीर्थ में जाकर भी पाप कर्म करते हैं। उनका पाप वज्र के समान हो जाता है और अनेकों अनेकों जन्म तक दुख भोगना पड़ता है। इसलिए सभी को तीर्थों की मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। जब भी किसी तीर्थ में जाएं मन से भगवान का चिंतन करें। वाणी से भगवान का गुणगान करें और अच्छे करें। दान पुण्य यज्ञ अनुष्ठान इत्यादि करें। तभी तीर्थ यात्रा फल प्राप्त होता है। शास्त्री ने बताया कि तीर्थ पर भूमि पर ही शयन करना। स्नानादि कर यज्ञ करें। यज्ञ के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान आदि करें। इसके उपरांत तीर्थ के अधिष्ठाता देवता का दर्शन करना चाहिए। इस प्रकार से तीर्थ यात्रा करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य समस्त सुखों का भोग कर अंत में देवलोक का अधिकारी बनता है। तृतीय दिवस की कथा में शास्त्री ने ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचना, मनु सतरूपा की उत्पत्ति, मनु महाराज की पुत्री देवहुती का विवाह कर्दम मुनि के साथ,कपिलमुनि देवहुती संवाद, शिवशक्ति चरित्र की कथा का श्रवण कराया। इस अवसर पर डा.कल्पना, डा.अमित अरोड़ा, हरीश अरोड़ा, हरजीत अरोड़ा,ज्योति शर्मा,दीपक सेठ,नीलम सेठ,मनस्वनी सेठ, माधव सेठ,वीना धवन,पवन मिगलानी, अभिषेक मिश्रा,कमल खत्री,रितिका खत्री,हर्षा खत्री,ममता खत्री,पंकज अरोड़ा श्रीमती फुलेश शर्मा,प्रज्ञा शर्मा,शांति दर्गन,विष्णु गौड,ममता शर्मा,सुनीता पाहवा,मधु मल्होत्रा, कोमल रावत,गुंजन जयसिंह,ज्योति शर्मा,वंदना जयसिंह आदि ने भागवत पूजन किया।
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्याम नगर स्थित दुर्गा मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तीर्थों का महत्व बताते हुए कहा कि मनुष्य जाने अनजाने जो भी पाप कर्म करता ह। तीर्थों में जाकर के उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। परंतु जो लोग तीर्थ में जाकर भी पाप कर्म करते हैं। उनका पाप वज्र के समान हो जाता है और अनेकों अनेकों जन्म तक दुख भोगना पड़ता है। इसलिए सभी को तीर्थों की मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। जब भी किसी तीर्थ में जाएं मन से भगवान का चिंतन करें। वाणी से भगवान का गुणगान करें और अच्छे करें। दान पुण्य यज्ञ अनुष्ठान इत्यादि करें। तभी तीर्थ यात्रा फल प्राप्त होता है। शास्त्री ने बताया कि तीर्थ पर भूमि पर ही शयन करना। स्नानादि कर यज्ञ करें। यज्ञ के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान आदि करें। इसके उपरांत तीर्थ के अधिष्ठाता देवता का दर्शन करना चाहिए। इस प्रकार से तीर्थ यात्रा करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य समस्त सुखों का भोग कर अंत में देवलोक का अधिकारी बनता है। तृतीय दिवस की कथा में शास्त्री ने ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचना, मनु सतरूपा की उत्पत्ति, मनु महाराज की पुत्री देवहुती का विवाह कर्दम मुनि के साथ,कपिलमुनि देवहुती संवाद, शिवशक्ति चरित्र की कथा का श्रवण कराया। इस अवसर पर डा.कल्पना, डा.अमित अरोड़ा, हरीश अरोड़ा, हरजीत अरोड़ा,ज्योति शर्मा,दीपक सेठ,नीलम सेठ,मनस्वनी सेठ, माधव सेठ,वीना धवन,पवन मिगलानी, अभिषेक मिश्रा,कमल खत्री,रितिका खत्री,हर्षा खत्री,ममता खत्री,पंकज अरोड़ा श्रीमती फुलेश शर्मा,प्रज्ञा शर्मा,शांति दर्गन,विष्णु गौड,ममता शर्मा,सुनीता पाहवा,मधु मल्होत्रा, कोमल रावत,गुंजन जयसिंह,ज्योति शर्मा,वंदना जयसिंह आदि ने भागवत पूजन किया।
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