हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि हनुमत कृपा से ही भगवत कृपा की प्राप्ति होती है और जो भक्त हनुमान जी का वंदन स्मरण करता है उसे बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के साथ ही उसके सभी संकटों का शमन हो जाता है। वे आज राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर हनुमत गौशाला में आयोजित हनुमान चालीसा-सुंदरकांड पाठ के शुभारंभ अवसर पर श्रद्धालुओं को सनातन धर्म के संस्कारों का साक्षात्कार करवा रहे थे। हनुमान चालीसा के प्रमुख अंशों का भावार्थ समझाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने अपने ग्यारहवें अवतार के रूप में हनुमान जी को भगवान श्री राम के कार्यों में सहयोग के लिए ही धराधाम पर भेजा था और हनुमान जी ने राम भक्ति का जो परिचय दिया उसे सभी भक्तों को अपने जीवन आचरण में उतारना चाहिए। हनुमान चालीसा के आयोजन को हनुमान जी की भक्ति को आत्मसात करने की प्रेरणा बताते हुए उन्होंने कहा कि सांसारिक कार्य एक दूसरे के सहयोग से ही चलते हैं, जिसके अंदर सहयोग की भावना होती है। उसी की विजय होती है जबकि अहंकार व्यक्ति की शक्ति, संसाधन एवं साधना का नाश कर देता है। अहंकार को व्यक्ति के पतन का पायदान बताते हुए कहा कि जब हनुमान जी और राम का मिलन हुआ तभी से विभीषण, सुग्रीव और माता सीता सहित सभी के संकट कट गए। सुंदर कांड को श्री रामचरित मानस का सर्वश्रेष्ठ अध्याय बताते हुए उन्होंने कहा कि सुंदरकांड का पठन-पाठन और श्रवण व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। आश्रम में चल रही धार्मिक गतिविधियों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 25 जून से 1 जुलाई तक प्रतिदिन श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ तथा 2 जुलाई को विश्वकल्याण गायत्री महायज्ञ के साथ ही 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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