हरिद्वार। समाजसेवी कपिल शर्मा जौनसारी ने हरिद्वार में दिन प्रति दिन युवा भिक्षुओ की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जाहिर करते हुए प्रशासन से इस पर ध्यान देने की मांग की है। कपिल शर्मा जौनसारी ने कहा कि शहर में भिक्षा मांगने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। जिस पर प्रशासन की और से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन को इस बात की जांच करनी चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में युवा भिक्षु कहां से आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती भिक्षुको की बढ़ती आबादी का मुख्य कारण जगह जगह निःशुल्क अन्न क्षेत्र व भंडारे है। जिसके कारण कई मजदूरी करने वालों ने भी मजदूरी छोड़कर अन्न क्षेत्र की लाइनों में लगना शुरू कर दिया है एवं कुछ नाबालिक बच्चे भी स्कूल न जाकर अन्न क्षेत्र की लाइनों में लग रहे है। यदि प्रशासन की और से इस तरह के लोगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इन सभी की आबादी और अधिक बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। जो धर्मनगरी के लिए शुभ संकेत नहीं है। कपिल शर्मा जौनसारी ने कहा कि गंगा के किनारे रह रहे कुछ भिक्षुको द्वारा नाबालिक बच्चो को नशीले पदार्थो का सेवन कराया व बेचा जा रहा है। प्रशासन को इस विषय पर जल्द से जल्द संज्ञान लेना चाहिए। जिससे समस्या का समाधान हो सके।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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