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राम नाम की पावन महिमा सुनने का अवसर बड़े ही सौभाग्य से मिलता है -महंत रघुवीर दास

 


हरिद्वार। श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा की पावन महिमा का गुणगान कथा व्यास पंडित हरीश नौटियाल द्वारिका वालों के श्री मुख से सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो उठे। उन्होंने कहा श्रीमद् भागवत एक ऐसी पावन कथा है जिसके कानों में दूर से सुनाई पडने मात्र से भी मनुष्य का कल्याण संभव है। इस अवसर पर सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के पीठाधीश्वर महंत रघुवीर दास ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की पावन नगरी की पावन धरा पर जिसे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ जैसी परम कल्याणकारी कथा का श्रवण करने के लिए मिल जाए,वह बड़ा ही भाग्यशाली है। उसे जन्मो जन्म की तपस्या का यह फल प्राप्त हुआ है कि वह मां गंगा की पावन धरा हरिद्वार पर परम कल्याणकारी कथा का रसपान कर रहा है। साथ ही जिस मनुष्य को जीवन में भगवान राम माता सीता की भक्ति प्राप्त हो जाए वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर भगवान श्री राम के चरणों में विलीन हो जाता है। महंत रघुवीर दास ने कहा राम नाम का जगत कल्याणकारी सुधारक मनुष्य के जीवन में खुशहाली भर देता है उसका जीवन खुशियों से महका देता है यह राम नाम की ही महिमा है की बाल्मीकि जी को जब तपस्वी साधु-संतों के द्वारा बोध कराया गया तो उनके ज्ञान चक्षु खुल गए और उन्होंने स्वार्थ और मोह माया का जंजाल छोड़कर राम नाम रस राम नाम की महिमा का गुणगान इस प्रकार किया कि उन्हें महान ग्रंथ श्री रामायण जी के लेखन जैसा पावन कार्य भगवान श्री राम की महिमा से ही प्राप्त हुआ। माता सीता और भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश के पालन पोषण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान राम की महिमा और कृपा उन पर ऐसी बरसी की भगवान श्री राम माता जानकी की महिमा लिखने के साथ-साथ माता जानकी जो साक्षात जगत जननी है उनके आश्रम में लंबे समय तक वास किया और जब अयोध्या जी में माता जानकी और लव कुश को भगवान श्रीराम को सौंपने गए तो भगवान श्रीराम ने भी महाऋषि को भगवान वाल्मीकि कहकर संबोधित किया,क्योंकि भगवान श्री राम की कृपा से उन्हें त्रिकाल का ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने समय से पूर्व ही जो घटनाएं भविष्य के गर्व में छपी थी उन्हें काफी समय पूर्व ही रामायण में पृष्ठ अंकित करते हुए भविष्य को भी भूतकाल में ही रामायण जैसे पावन ग्रंथ श्री रामायण जी में अंकित कर दिया। राम नाम की महिमा बड़ी ही अपरंपार है। एक बार राम नाम की भक्ति का रसपान तो करो आपको साक्षात माता जानकी भगवान श्री राम की शरण प्राप्त होगी। आपको इस मृत्युलोक में साक्षात जगत जननी माता सीता मर्यादा परसोत्तम भगवान राम की भक्ति प्राप्त होगी और मृत्यु लोक से चले जाने के बाद उनकी शरण प्राप्त होगी।


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