हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में रामनगर कालोनी ज्वालापुर स्थित श्री राधा रसिक बिहारी मंदिर में आयोजित 31 दिवसीय रुद्राभिषेक के 17वें दिन भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया जब राक्षसों एवं देवताओं ने मिलकर समुद्र मंथन किया। तब सबसे पहले हलाहल विष निकला। जिसका पान करने से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया। जिससे उनका नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। विष के प्रभाव से भगवान को बहुत कष्ट होने लगा,जलन बढ़ने लगी, तो भक्तों ने बेल पत्र अर्पित कर गंगाजल से उनका अभिषेक किया। बेलपत्र की तासीर ठंडी होती है। जिससे भगवान शिव को बड़ी राहत मिली और धीरे धीरे विष का प्रभाव समाप्त हो गया। भगवान ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति के साथ मेरा रुद्राभिषेक करेगा। उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होंगी। तभी से मनोकामना पूर्ति के लिए शुक्ल यजुर्वेद रुद्राष्टाध्याई के मंत्रों द्वारा भगवान शिव का अभिषेक करने की परंपरा शुरू रूद्राभिषेक के 17वें दिन मुख्य जजमान के रूप में उद्योगपति सिंघल परिवार की प्रतिभा सिंघल, प्रवीन सिंघल, सुमन सिंघल, प्रदीप सिंघल द्वारा हिमाचल प्रदेश में आयी भीषण आपदा के मृतकों एवं चमोली हादसे के मृतकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया।
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