हरिद्वार। श्री वशिष्ठ सप्तऋषि दूधाधारी आश्रम ब्रह्मपुरी में श्रीराम चरित्र मानस अखंड पाठ के समापन के अवसर पर बोलते हुए महंत जयराम दास जी ने कहा धर्म-कर्म करने से मनुष्य के भाग्य का उदय हो जाता है। मनुष्य को सदैव भगवान सीताराम के भजन के साथ साथ अपने जीवन में दान सत्कर्म यज्ञ अनुष्ठान भंडारा इत्यादि कार्य करते रहना चाहिए। कर्मों का फल भगवान राम के हाथों में है किंतु उन्हें उदय करने का मार्ग सत्य कर्म है। अगर मनुष्य अपने जीवन में जीवों पर दया, दरिद्र गरीबों पर दया के साथ-साथ अपनी यथाशक्ति दान सत्कर्म करता है। धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ भंडारा आदि कार्य करता है तो ऐसे सत्कर्म उसे कल्याण की ओर ले जाते हैं। भगवान राम का भजन और सत्य कर्म ही ऐसा मार्ग है जो मनुष्य को सीधा भगवान के श्री चरणों की ओर ले जाते हैं। इस अवसर पर सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के परमा ध्यक्ष रघुवीर दास जी ने कहा ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन पशु समान है। धार्मिक कथा ग्रंथों का अध्ययन मनुष्य के सोए विवेक को जगा देता है। एक अज्ञानी से अज्ञानी मानव भी श्रीराम चरित्र मानस कथा तथा अन्य पावन ग्रंथों का अध्ययन करने से महान व्यक्तित्व बन सकता है। ज्ञान और बुद्धि विवेक का रहस्य हमारे पावन ग्रंथों में छिपा हुआ है इसलिए जब भी समय मिले जहां भी सत्संग हो रहा हो,जहां भी राम भजन हो रहा हो वहां कुछ पल बैठकर भगवान की महिमा का रसपान करें। इससे आपके पूर्वजों को सद्गति प्राप्त होगी और आपको बुद्धि विवेक के साथ-साथ यश कीर्ति वैभव धन संपदा की प्राप्ति होगी। ईश्वर भजन मनुष्य के विवेक और ज्ञान की इंद्रियों का विकास कर देता है। आश्रम में आयोजित कथा का समापन विशाल भंडारे के साथ हुआ। इस दौरान हरिद्वार के अनेकों आश्रम मठ मंदिरों के संत महंत श्रद्वालुओं ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान महामंडलेश्वर लक्ष्मण दास महाराज, महंत जयराम दास, महंत बिहारी शरण,महंत अंकित शरण,प्रभुदास महाराज, कोतवाल धर्मदास,रामदास,सीतारामदास, महंत सूरज दास,सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।
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