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पतंजलि वि.वि. में त्रिदिवसीय शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता का समापन

 शिव संकल्पयुक्त मन के लिए शास्त्रों का स्वाध्याय अति आवश्यक हैः प्रो- महावीर

हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में चल रही त्रिदिवसीय शास्त्रीय कण्ठपाठ प्रतियोगिता का समापन मूर्धण्य विद्वानों एवं आचार्यों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।  समापन अवसर पर वि.वि. के प्रति-कुलपति एवं वैदिक विद्वान प्रो.महावीर अग्रवाल ने प्रतिभागियों को अनन्त शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए उन्हें प्रतिदिन नियमित रूप से किसी-न-किसी शास्त्र के स्वाध्याय को अपनी जीवन-शैली का अभिन्न अंग बनाने हेतु प्रेरित किया। अपने उद्बोधन में प्रो. अग्रवाल ने कहा कि जिस देश की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय शास्त्रों का ज्ञान समाहित हो,जहाँ ज्ञान की परम्परा में वैज्ञानिक तकनीकों के साथ स्वाध्याय का समावेश हो तो निश्चित ही वहाँ के युवा का व्यक्तित्व समग्र रूप से विकसित एवं प्रखर होगा। पतंजलि वि.वि. की कुलानुशासिका एवं मानविकी व प्राच्य विद्या अध्ययन संकाय की अध्यक्षा डॉ.साध्वी देवप्रिया ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय विश्व का एकमात्र ऐसा वि.वि. है जहाँ के विद्यार्थी ज्ञान अर्जन के साथ-साथ प्रतिदिन योग,यज्ञ,शास्त्र स्मरण करते हैं तथा अनुशासित जीवन जीते हैं। उन्होंने बताया कि जब हम विकल्परहित संकल्प के साथ प्रचंड पुरुषार्थ करते हैं तो इससे हमारा मनो-शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता तथा मन की प्रतिरोधक क्षमता भी उच्च स्तर की बनी रहती है। प्रतियोगिता के दौरान मर्मज्ञ विद्वानों ने प्रतिभागियों की अनेक प्रकार से शास्त्र-स्मरण सम्बंधी मौखिक परीक्षा ली,जिसमें छात्र-छात्राओं ने आश्चर्यजनक व भावपूर्ण प्रदर्शन किया। बीएनवाईएस की छात्र सुश्री दान,साध्वी देवशौर्या,स्वामी विरक्तदेव ने उपनिषद में प्रथम स्थान,साध्वी देवकान्ति,अंशिका एवं साध्वी देवसंस्कृति ने अष्टाध्यायी में प्रथम,साध्वी देवापर्णा,स्वामी कौशलदेव,स्वामी भवदेव ने द्वितीय,ब्रह्मचारी अशोक,ब्रह्मचारी आनन्द,साध्वी देवप्रभा,काशीराम एवं स्वामी प्रणदेव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही श्रीमदभगवद्गीता में स्वामी अर्जुनदेव,साध्वी देवसंस्कृति एवं प्रेरणा ने द्वितीय,पंचोपदेश में ब्रह्मचारिणी योगिता,साध्वी देवस्मृति,ब्रह्मचारिणी रुक्मिणी ने द्वितीयस्थान,शब्दधातुरूप में ब्रह्मचारी तपोधन,ब्रह्मचारी लक्ष्मण ने द्वितीय,पंचदर्शन में रिचा ने तृतीय, निघंटु में स्वामी प्रकाशदेव ने प्रथम स्थान,त्रिदर्शन में साध्वी देवशिला ने द्वितीय स्थान,योगदर्शन में सृष्टि,अनिल,मनोज कुमार ,ललिता,यशी,क्षमा,साध्वी देवसीमा,अक्षिता,प्रियंका,मुक्ता,साध्वी देवसंस्कृति,अनीता,ब्रह्मचारिणी सुभद्रा ,स्वामी भवदेव,दीपक,नवीन, साध्वी देवराध्या,मुस्कान,अविकांत,दुर्गेश ने प्रथम स्थान,द्वितीय स्थान में सुमेधा,अर्चिता,सरस्वती,योगेश्वर,शीतल,वीर शर्मा,प्रतीक,साक्षी,साध्वी देवधैर्या,शिवा,सुमेध ,दुर्गा तथा तृतीय स्थान में रोहिना,स्वामी प्रसन्नदेव,ऋतुजा ने प्राप्त किया। विजेता प्रतिभागियों को आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण के जन्मोत्सव ‘जड़ी-बूटी दिवस’-04 अगस्त को योगगुरु स्वामी रामदेव की पावन उपस्थिति में पुरस्कार राशि एवं प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया जायेगा। इस अवसर पर संस्कृत के महाकवि प्रो.मनोहर लाल आर्य,केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग के विद्वान डॉ.विजय पाल प्रचेता सहित पतंजलि विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अध्यक्ष,वरिष्ठ आचार्यगण,साध्वी देवसुमना,स्वामी परमार्थदेव,स्वामी आर्षदेव ,स्वामी आदिदेव,स्वामी मित्रदेव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन स्वामी ईशदेव द्वारा किया गया।


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