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समय का सदुपयोग करना सीखें: डॉ निशंक

यह समय भारत के जागरण का है: डॉ चिन्मय पण्ड्या


 हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय व वैल्यू ऑफ वर्डस के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे दो दिवसीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आज समापन हो गया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से आये हिन्दी साहित्यकारों एवं कवियों ने हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए चलाये जा रहे अभियानों की जानकारी दी,तो वहीं युवा पीढ़ी को हिन्दी भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग के लिए प्रेरित किया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए, जिन्होंने भी समय का सही सही उपयोग किया है,वह मानव से महामानव बन गया है। उन्होंने कहा कि नालंदा व तक्षशिला विवि में ज्ञान, विज्ञान व अनुसंधान का कार्य होता था,वह परंपरा आज भी भारत में विद्यमान है,इसे और विकसित करने की आवश्यकता है। साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियाँ हासिल कर चुके डॉ निशंक ने कहा कि युवाओं को भारत को विकसित व समृद्धि बनाने की दिशा में कार्य करना है। भारतीय युवा की प्रतिभा को पूरी दुनिया स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि जीवन मूल्यों की आधारशिला देवसंस्कृति में विद्यमान है।युवा आइकान एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह समय भारत के जागरण का है। समय करवटें ले रहा है। ऐसे समय में सभी को सावधान होकर अपनी भूमिका को ईमानदारी से पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को दिशा देने का कार्य हिन्दी व संस्कृत भाषा में विद्यमान है। संस्कृत भाषा में जितना ज्ञान विज्ञान का भण्डार है, उतना किसी और में नहीं है। इससे पूर्व वैल्यू ऑफ वर्डस के संस्थापक डॉ संजय चोपड़ा ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन के विविध कार्यक्रमों के साथ दो दिवसीय सम्मेलन की उपलब्धियों पर चर्चा की। वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने अपने कई दशकों के साहित्यिक अनुभवों को साझा करते हुए युवापीढ़ी को श्रेष्ठ हिन्दी साहित्य नियमित रूप से अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। प्रो ईश्वर भारद्वाज,डॉ अमृत गुरुवेन्द्र,डॉ अभय सक्सेना,डॉ कृष्णा झरे, डॉ संतोष नामदेव,डॉ शिवनारायण प्रसाद आदि को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न भेंटकर अतिथियों ने सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने अतिथियों को युगसाहित्य, स्मृति चिह्न व गंगाजली आदि भेंटकर सम्मानित किया। दो दिन चले इस सम्मेलन में देसंविवि के कुलसचिव बलदाऊ देवांगन, प्रो संदीप कुमार, अनिल रतूड़ी,डॉ. शुभ्रा उपाध्याय, सुश्री नीलेश रघुवंशी,सुश्री मधु बी जोशी,डॉ सुशील उपाध्याय,डॉ.अंजन रे,सोमेश्वर पाण्डेय, डॉ सुखनंदन सिंह,डॉ अजय भारद्वाज आदि ने भी अपने साहित्यिक अनुभवों को साझा किया। समापन कार्यक्रम का संचालन डॉ गोपाल शर्मा ने किया।


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