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गुजराती गरबा महोत्सव में जमकर महिलायें कर रही गरबा,16वर्षो से हो रहा आयोजन


 हरिद्वार। वैसे तो शारदीय नवरात्रा पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन गुजरात प्रदेश में नवरात्रा की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है,वही धूम इन दिनों गुजरात से करीब बारह सौ किमी दूर धर्मनगरी हरिद्वार के मायापुर नेशनल हाइवे सिथत श्याम सुन्दर भवन के हाल में देखने को मिल रहा है। नवरात्रो में गरबो की धूम मची हुई है। हरिद्वार में इन दिनों पांच स्थानों पर गरबा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे मुख्य आयोजन श्याम सुन्दर भवन में सम्पन्न हो रहा है। इस के अलावा शिवालिक नगर में शिव मंदिर,गुजराती धर्म शाला ,कच्छी आश्रम इन के अलावा हरिपुर स्थित उमिया धाम में शेरी गरबा का आयोजन हो रहे है। धर्मनगरी हरिद्वार जो कि माँ शक्ति की पहली शक्तिपीठ वाली नगरी है यहाँ इन दिनों माता की अद्भुत भक्ति देखने को मिल रही है। गुजरात के पारंपरिक परिधानों में गरबा गुजराती नर-नारी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हरिद्वार के ये गुजराती परिवार पिछले 16 वर्षों से प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान विशेष गरबा व डांडिया का आयोजन करता है। इसमें धर्मनगरी हरिद्वार में गुजराती संस्कृति के अनुरूप नवरात्र महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी हरिद्वार गुज्जु परिवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पत्र लिखकर प्रोत्साहित किया है। गरबा गुजरा में प्रचलित एक लोकनृत्य है। आजकल इसे पूरे देश में आधुनिक नृत्य कला में स्थान प्राप्त हो गया है। इस रूप में उसका कुछ परिष्कार हुआ है फिर भी उसका लोकनृत्य का तत्व अक्षुण्ण है। आरंभ में देवी के निकट सछिद्र घट में दीप ले जाने के क्रम में यह नृत्य होता था। इस प्रकार यह घट दीप गर्भ कहलाता था। वर्णलोप से यही शब्द गरबा बन गया। आजकल गुजरात में नवरात्रों के दिनों में लड़कियां कच्चे मिट्टी के सछिद्र घड़े को फूल पत्तियों से सजाकर उसके चारों ओर नृत्य करती हैं। गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और अश्विन मास की नवरात्रों को गरबा नृत्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रों के बाद शरद पूर्णिमा को अंतिम गरबा का आयोजन होता है। धर्मनगरी हरिद्वार का अद्भुत गुजराती रंग अपने आप में बहुत ही मनमोहक होता है,अपनी भूमि से कोसों दूर रहने के बाद भी अपनी संस्कृति एवं परंपरा को आगे बढ़ाने की सोच के साथ हरिद्वार में रहने वाला गुज्जू परिवार 2007 से निरंतर कराता आ रहा हैं। गुजराती समाज के राजेश पाठक ,लक्ष्मण भाई,पवन भाई,लहर भाई ,प्रितेश भाई,मोंटूभाई,जेराम भाई,मेहुल भाई,राजा भाई,दीपक भाई ठक्कर,बृजेश पटेल,परेश भाई,राजू भाई,अजय गढ़वी,दामोदर महाराज,जय सोनी सहित बड़ी संख्या में गुजरती समुदाय से जुड़े बहने और बच्चे भाग ले रहे हैं।


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