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महर्षि वाल्मिीकि की महान परंपरा से जुड़े संत थे ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

पुण्यतिथी पर संत समाज व श्रद्धालुओं ने दी ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज को श्रद्धांजलि


 हरिद्वार। कनखल स्थित भगवान वाल्मिीकि आश्रम के श्रीमहंत ब्रह्मलीन शंकरदास महाराज की 38वीं पुण्यतिथी पर संत समाज व श्रद्धालुओं ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्री वाल्मिीकि समाज पंचायत कमेटी के संयोजन एवं संत समाज के सानिध्य में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज रामायण जैसे महान ग्रंथ की रचना करने वाले महर्षि वाल्मिीकि की महान परंपरा से जुड़े संत थे। ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज द्वारा स्थापित आश्रम की सेवा परंपरा महंत मानदास के नेतृत्व में और सुदृढ़ हो रही है। समाज को भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करने वाले ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज की पुण्यतिथी के अवसर पर सभी को समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में जाति प्रथा का कभी कोई स्थान नहीं रहा। तत्कालीन राजाओं की कार्य विभाजन पद्धति को कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के चलते जाति परंपरा में बदल दिया। जाति केवल एक है। वह है मानव जाति। भगवान वाल्मिीकि आश्रम के महंत मानदास महाराज ने कहा कि भगवान वाल्मिीकि आश्रम ब्रह्मलीन बाबा चरणदास, ब्रह्मलीन बाबा भगवान दास, ब्रह्मलीन बाबा नारायण दास एवं ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज जैसे महान गुरूओं की तपस्थली हैै। पूज्य गुरूदेव श्रीमहंत शंकरदास महाराज से प्राप्त ज्ञान एवं शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा करना एवं आश्रम की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महंत किशनदास महाराज ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव श्रीमहंत शंकरदास महाराज विद्वान संत थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। वे सौभाग्यशाली है कि उन्हे गुरू के रूप में ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि धर्म प्रचार में ब्रहमलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके योगदान से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज के शिष्य एवं भगवान वाल्मिीकि आश्रम के महंत मानदास महाराज को गुरू से प्राप्त ज्ञान और संत परंपरांओं का अनुसरण करते हुए समाज का मार्गदर्शन करने के साथ धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में भी योगदान करते देखना सुखद व प्रेरणादायक है। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानीनाथ ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म व अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का अहम योगदान रहा है। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए। व्यस्तता के चलते समारोह में सम्मिलित नहीं हो पाए पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने भी संदेश भेजकर ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री वाल्मीकि समाज पंचायत कमेटी के अध्यक्ष आत्माराम बेनीवाल,कार्यवाहक अध्यक्ष अशोक तेश्वर, उपाध्यक्ष नाथीराम पेवल,महामंत्री नीरज छाछर,विपिन पेवल, कोषाध्यक्ष अनुरोध चंचल कमेटी के सभी सदस्यों ने संतों व अतिथियों का स्वागत किया। बालयोगी महामंडलेश्वर स्वामी संगमनाथ,महामंडलेश्वर स्वामी करमनाथ,बालयोगी स्वामी प्रकटनाथ,मेयर अनिता शर्मा, विधायक मदन कौशिक,पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरांनद,विधायक रवि बहादुर,विधायक आदेश चौहान,भाजपा जिलाध्यक्ष संदीप गोयल,भाजपा नेता डा.विशाल गर्ग,पार्षद सुनील गुड्डु, पार्षद शुभम मंडोला,पार्षद नितिन माणा,पार्षद विनीत जौली,हरिद्वार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार,महामंत्री विनीत धीमान,उद्योगपति जयकरण पटेल,कांग्रेस नेता डा.संजय पालीवाल, सुरेंद्र तेश्वर,राजेंद्र श्रमिक,सतपाल चंचल,मायाराम,महीपाल सिंह, दिनेश कुमार आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। 


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