सनातन परंपरा में शास्त्रों के साथ शस्त्र पूजन का भी विधान-श्रीमहंत रव्रिदंपुरी
हरिद्वार। दशहरे के अवसर पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में शस्त्र पूजन किया गया। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में अखाड़े के संतों ने सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भालों व अन्य शस्त्रों की पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की और धर्म रक्षा का संकल्प दोहराया। इस अवसर पर श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी सन्यास परंपरा के नागा सन्यासी दशहरे पर अखाड़ों में शस्त्र पूजन करते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में शास्त्रों के साथ शस्त्र पूजन का भी विधान है। अखाड़ों की परंपरा में शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। जगद्गुरु शंकराचार्य ने राष्ट्र और धर्म रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना के साथ शास्त्र और शस्त्र परंपरा की शुरूआत की थी। आदि अनादि काल से अखाड़े इस परंपरा को निभा रहे हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश देवता रूपी भाले कुंभ मेले के अवसर पर अखाड़ों की पेशवाई के आगे चलते हैं और सबसे पहले उन्हें ही गंगा स्नान कराया जाता है। उसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर,महामंडलेश्वर,जमात के श्रीमहन्त,महंत और अन्य नागा साधु स्नान करते हैं। सभी को विजयदशमी की शुभकामनाएं देते हुए श्रीमहंत रविद्रपुरी महाराज ने कहा कि विजयदशमी के दिन भगवान राम द्वारा रावण का वध किया था। बुराई पर अच्छाई की जीत के इस महापर्व पर सभी को भगवान श्रीराम के चरित्र से प्रेरणा लेते हुए आदर्श समाज बनाने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर महंत सूर्य मोहन गिरी,महंत अखिलेश भारती,महंत रविंद्रपुरी,महंत कमलपुरी,महंत ज्ञान भारती,महंत मोहन गिरी,महंत रामगिरी, पूर्व विधायक संजय गुप्ता,महंत शिवनाथ महाराज,महंत हनुमान बाबा सहित अखाड़े के सभी संत महंतों ने शस्त्र पूजन कर अखाड़े के आराध्य भगवान कपिल मुनि के जयकारे लगाते हुए सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प लिया।
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