हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना से ही सफलता प्राप्त होती है। साधना से योग सधता है। साधक को किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए और न ही अत्यधिक न्यूनता। ये दोनों ही परिस्थितियाँ साधक के लिए लाभदायक नहीं हैं।कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में साधकों को नवरात्र साधना के आठवें दिन संबोधित कर रहे थे। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने श्रीमद्भगवतगीता के उद्धरण देते हुए कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण अपने प्रिय सखा अर्जुन से कहते हैं कि साधक को बहुत ही संयमित होकर अपने इच्छित कार्य हेतु मनोयोगपूर्वक साधना करनी चाहिए। साधक को किसी भी कार्य में अतिवाद से बचना चाहिए। युवा प्रेरणास्रोत डॉ. पण्ड्या ने कहा कि साधक को साधना नियमित करना चाहिए। साधक को साधना काल में अपनी दिनचर्या संतुलन बनाये रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को मंत्र साधना, योग साधना,स्वाध्याय साधना या किसी अन्य क्षेत्र की साधना के दौरान संतुलन बनाये रखना चाहिए। साधना के बिना सिद्धि या सफलता प्राप्त नहीं होती। उन्होंने कहा कि जब सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है, तब साधना सरल हो जाती है। अपने मन और इन्द्रियों को बस में करना, इन पर विजय पाना ही साधना है।इससे पूर्व संगीतज्ञों ने साधक का सविता को अर्पण, शिष्यों का गुरु को समर्पण सुमधुर गीत से साधकों को उल्लसित किया। इस अवसर पर कुलपति शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज परिवार सहित के देश विदेश से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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